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इस जेल में मिल सकती है कोली और पंढेर को फांसी, जेल प्रशासन को कोर्ट के आदेश का इंतजार

locationमेरठPublished: Dec 09, 2017 12:48:24 pm

Submitted by:

sharad asthana

कोली और पंढेर को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, सजा के फैसला के बाद जेल प्रशासन अलर्ट, जिला कारागार मेरठ में बढ़ाई गई सुरक्षा
 

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मेरठ। बहुचर्चित निठारी कांड से जुड़े नौवें मामले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआर्इ अदालत ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनार्इ है। इस मामले में अदालत ने कोली व पंढेर को अपहरण, बलात्कार, हत्या, आपराधिक षडयंत्र और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए फैसला दिया है। कोर्ट ने इस हत्याकांड को जघन्य अपराध बताते हुए दोनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई। दूसरी ओर कोर्ट के फैसले के बाद जेल प्रशासन अलर्ट हो गया है। गौरतलब है कि यूपी में फांसी देने की व्यवस्था मेरठ और लखनऊ की जेलों में है, और ऐसे में कोर्ट के फैसले के बाद यहां अलर्ट जारी कर दिया गया है।
जिला कारागार मेरठ पूरी तरह अलर्ट
बता दे कि चौधरी चरण सिंह जिला कारागार मेरठ खासतौर पर सीबीआर्इ की विशेष अदालत का फैसला आने के बाद अलर्ट हो गया है, क्योंकि एक तो ये कारागार सबसे नजदीक है, और दूसरे यहां जल्लाद समेत पूरी व्यवस्था है। अब यहां का जेल प्रशासन अदालत के आदेश की कॉपी मिलने का इंतजार कर रहा है, ताकि फांसी के लिए वह समय से व्यवस्था पूरी कर सकें।
कोर्ट ने तीन साल पहले भी सुनाई थी फांसी की सजा
गौरतलब है कि तीन साल पहले भी मेरठ जिला कारागार में निठारीकांड के मुख्य दोषी सुरेंद्र कोली को सितंबर 2014 में सीबीआर्इ अदालत ने फांसी की सजा सुनार्इ थी। उसे डासना जेल से यहां शिफ्ट भी कर दिया गया था, लेकिन फांसी लगने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सुरेंद्र कोली को डासना जेल में फिर शिफ्ट कर दिया गया था। निठारीकांड से जुड़े नौवें अंजलि हत्याकांड मामले में विशेष अदालत ने पंढेर व कोली दोनों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनार्इ है। इस फैसले के बाद से मेरठ जिला कारागार में एक बार फिर से हलचल बढ़ गर्इ है।
जेल प्रशासन को अदालत के आदेश का इंतजार
जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक बीडी पांडेय ने इस संबंध में कहा कि कोली व पंढेर पर सीबीआर्इ की विशेष अदालत के नए फैसले पर अभी कोर्इ अधिकारिक आदेश नहीं है। अदालत के आदेश पर ही जेल में इस संबंध में तैयारी शुरू करार्इ जाएगी, क्योंकि अदालत ही आदेश देगी कि दोनों दोषियों को किस जेल में फांसी दी जाए।

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