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Kaal Bhairav Ashtami 2020: भैरवाष्टमी पर ऐसे करेंगे पूजा तो हो जाएंगे मालामाल

locationमेरठPublished: Dec 05, 2020 02:42:46 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

Highlights:
-भैरवाष्टमी पर पूजा करने से बन जाएंगे सभी बिगड़े काम
-आगामी 7 दिसंबर को है काल भैरवाष्टामी
-जानिए पूजा का शुभ समय और विधि
-हमेशा भक्तों पर बनाते हैं अपनी कृपा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मेरठ। भैरव की पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है। इस दिन भैरव अष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा—अर्चना करके भक्त निर्भय हो जाता है और सभी कष्टों से मुक्त रहता है। इस दिन भैरव बाबा की पूजा और व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं। इनके भक्तों से भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहता है। इस बार काल भैरव अष्टमी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन यानी आगामी सात दिसंबर सोमवार को मनाई जाएगी।
भैरव बाबा की साधना करने से क्रूर ग्रहों के प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं। इनकी साधना करने से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव भी नष्ट हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए। इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
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ये है पूजा का शुभ समय

मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन सात दिसंबर सोमवार को काल भैरव जयंती यानी शिव के पांचवे रुद्र अवतार माने जाने वाले कालभैरव की पूजा-अर्चना साधक विधि-विधान से करते हैं। सात दिसंबर को शाम 6:47 से 8 दिसंबर को शाम 5:17 बजे तक इसका मान रहेगा। पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि काल भैरव भगवान शिव का रौद्र, विकराल एवं प्रचंड स्वरूप है। तंत्र साधना के देवता काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। इसलिए अष्टमी में प्रदोष व्यापनी तिथि का विशेष महत्व होता है।
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ऐसे करें काल भैरव की पूजा

काल भैरव को काले, तिल, उड़द और सरसोंं का तेल अर्पित करना उत्तम होता है। भैरव जी का वाहन श्वान (कुत्ता ) है। भैरव के वाहन कुत्ते को पुआ खिलाना चाहिए। भैरव जी को काशी का कोतवाल भी माना जाता है। भैरव की पूजा से शनि, राहु व केतु ग्रह भी शान्त हो जाते है। बुरे प्रभाव और शत्रु भय का नाश होता है।
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