भैरव बाबा की साधना करने से क्रूर ग्रहों के प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं। इनकी साधना करने से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव भी नष्ट हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए। इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
यह भी पढ़ें
खुफिया विभाग का इनपुट, किसान आंदोलन में हिंसा की आशंका, कई जगहों पर पीएसी तैनात
ये है पूजा का शुभ समय मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन सात दिसंबर सोमवार को काल भैरव जयंती यानी शिव के पांचवे रुद्र अवतार माने जाने वाले कालभैरव की पूजा-अर्चना साधक विधि-विधान से करते हैं। सात दिसंबर को शाम 6:47 से 8 दिसंबर को शाम 5:17 बजे तक इसका मान रहेगा। पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि काल भैरव भगवान शिव का रौद्र, विकराल एवं प्रचंड स्वरूप है। तंत्र साधना के देवता काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। इसलिए अष्टमी में प्रदोष व्यापनी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह भी पढ़ें