scriptJanmashtami 2020: कुंडली में है कालसर्प दोष, तो जन्माष्मी पर जरूर करें ये उपाय | kaal sarp dosh upay on janmashtami 2020 | Patrika News

Janmashtami 2020: कुंडली में है कालसर्प दोष, तो जन्माष्मी पर जरूर करें ये उपाय

locationमेरठPublished: Aug 12, 2020 08:58:24 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

Highlights
-जन्माष्टमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा से होता है निश्चित लाभ -आज करें ये उपाय, राहु—केतु से भी मिलेगा छुटकारा

jan
मेरठ। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उन्हें जीवन में कितने संघर्ष झेलने होते हैं ये तो वही जानते हैं। तरह—तरह के उपायों के बाद भी मुक्ति नहीं मिलती है। लेकिन जन्माष्टमी पर किए इन कुछ उपायों से कालसर्प दोष से निश्चित ही मुक्ति मिलती है। इसके अलावा राहु और केतु के कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है। ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार अगर कुंडली में राहु-केतु हों और अन्य सभी ग्रह इनके बीच हों तो ऐसे में कार्लसर्प योग बनता है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन लोगों को जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों की मानें तो कृष्णजी की कुंडली में भी कालसर्प दोष उपस्थित था। इस दोष से निजात पाने के लिए कई प्रकार के उपाय करते हैं। यदि कालसर्प दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर ये कुछ उपाय करने चाहिए। इन उपायों को करने से ना केवल कालसर्प दोष से छुटकारा मिलेगा बल्कि आपके जीवन की सारी समस्याएं भी दूर हो जाएगी।
गोविंद दामोदर स्तोत्र का पाठ :—

जन्माष्टमी की पूजा के समय गोविन्द दामोदर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह पाठ सुख समृद्धि देने वाला तो है ही साथ में ही यह अशुभ ग्रह के प्रभाव को भी दूर करने वाला होता है। दामोदर स्तोत्र का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और घर के सदस्यों के बीच प्रेम भाव बना रहता है। जन्माष्टमी की पूजा के दौरान भगवान के पास बांसुरी रखने का भी विधान है। पूजा के समय बांसुरी भगवान कृष्ण को अर्पित करनी चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक शक्ति को हमारे घर से दूर करता है। अगले दिन बांसुरी को घर के आगे लटका दें या फिर भगवान के पास ही रखकर रोजाना पूजा करें। जन्माष्टमी की पूजा के साथ भगवान कृष्ण की कालिया नाग पर नृत्य करते हुए की तस्वीर भी साथ रखें। इनके दर्शन करने मात्र से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
मोर पंख रखें साथ

माना जाता है कि कान्हा की जन्मकुंडली में भी कालसर्प दोष था। इसके अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए कान्हाजी मोर मुकुट धारण करते थे। इस दोष के कारण ही भगवान कृष्ण को जेल में जन्म लेना पड़ा और जन्म के बाद ही अपने माता-पिता से दूर होना पड़ा। इसके अशुभ प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए जन्माष्मी पर कान्हा को मोरपंख अर्पित करें फिर उस पंख को अपने बटुए में संभालकर रखें।
//www.dailymotion.com/embed/video/x7vj67t?autoplay=1?feature=oembed
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो