लेकिन सोमवार को जब इस मामले में कोर्ट का फैसला आया तो तीन आरोपियों को मौत उम्रकैद की सजा मिली। वहीं सबूतों के अभाव में विशाल को बरी कर दिया गया। विशाल के बरी होने से वेस्ट यूपी के एकमात्र विवि की साख पर बट्टा लगने से बच गया। बाता दें कि विवि किन्ही न किन्ही कारणों से अक्सर सुर्खियों में रहता है।
कठुआ कांड में विशाल की संलिप्तता की बात सामने आने पर विवि की समिति ने भी जांच बैठा दी थी। लेकिन उसमें भी कुछ खास नहीं निकला था। वहीं जम्मू कश्मीर की एसआईटी की रिपोर्ट भी कोर्ट में कुछ खास नहीं कर सकी। इस बीच विशाल के बयान के आधार पर वारदात के वक्त उनसे खुद को मेरठ में बताया और बैंक जाने की बात भी बताई। जब इन सभी जगह की जांच की गई तो सही पाया गया। जिससे कारण विशाल के खिलाफ कोई पक्के सबूत नहीं मिले। अंततः विशाल को बरी करना पड़ा। जम्मू कश्मीर की एसआईटी की टीम ने विशाल को मेरठ से ही कांड के चार दिन बाद गिरफ्तार किया था। विशाल पर आरोप था कि उसने मेरठ से जाकर जम्मू में मासूम के साथ दुष्कर्म जैसी शर्मनाक घटना को अंजाम दिया था।