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Meerut Weather : सावन बीता सूखा अब भादों में ऐसा रहेगा बारिश का हाल

locationमेरठPublished: Aug 13, 2022 10:14:58 am

Submitted by:

Kamta Tripathi

Meerut Weather Update पूर्णिमा की समाप्ति के बाद से सावन भी बीत गया है। आज शनिवार से हिंदू महीना भादों की शुरूआत हो चुकी है। इस साल सावन पूरी तरह से सूखा बीत गया। मेरठ सहित पश्चिमी उप्र और पूर्वी उप्र के हिस्से में औसम से भी बहुत कम बारिश आई है। सावन में कुछ फुहार के अलावा पूरे माह मेरठ के लोग बारिश के लिए तरस गए। मेरठवासी अब भादो में बारिश की उम्मीद जता रहे हैं।

Meerut Weather : सावन बीता सूखा अब भादों में ऐसा रहेगा बारिश का हाल, पटरी से खिसकी मानसून द्रोणिका

Meerut Weather : सावन बीता सूखा अब भादों में ऐसा रहेगा बारिश का हाल, पटरी से खिसकी मानसून द्रोणिका

Meerut Weather Update मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बार मानसूनी बारिश कम होने के लिए मानसून की द्रोणिका जिम्मेदार है। मानसून द्रोणिका जुलाई में पटरी से खिसककर दक्षिण की तरफ चली गई है। इससे मेरठ सहित पूरे पश्चिमी उप्र में भादो में कम बारिश की संभावना है। इस साल समय से आए मानसून से अच्छी बारिश की लोगों ने उम्मीद लगाई थी। लेकिन पूर्वोत्तर से पूर्वांचल की तरफ बढ़ रहा मानसून दक्षिण की तरफ भटक गया। जिसके चलते मानसून द्रोणिका या ट्रफ के भटकने से उप्र और बिहार के हिस्से में बरसने वाला पानी मप्र और दक्षिण भारत के साथ ही गुजरात और राजस्थान को मिल गया।

गत जुलाई में शुरुआती बारिश के बाद पूरा महीना ही सूखा रहा। मेरठ में 15 जुलाई तक सूखा बीता। मानसून ट्रफ पटरी पर लौटी तो 16 जुलाई के बाद बारिश की हल्की शुरूआत हुई। अगस्त में नियमित अंतराल पर बहुत हल्की बारिश हुई। लेकिन यह बारिश इलाकावार ही हुई। मौसम विज्ञानी का मानना है कि मानसून ट्रफ एक बार फिर दक्षिण की तरफ खिसकी है ऐसे में भादों के महीने में भी अब बारिश उम्मीद से कम ही होगी। कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डा एन सुभाष ने बताया कि मानसून द्रोणिका का इस तरह से खिसकना एक तरह से ग्लोबल वार्मिग के कारण हो रहा है। इसके चलते बारिश सामान्य से कम होने की उम्मीद है।
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केरल और ओडिशा के तटों से मैदान की तरफ बढ़ते हुए मानसून का एक रास्ता होता है। इस काल्पनिक लाइन को मानसून द्रोणिका या ट्रफ कहा जाता है। इस वर्ष मानसूनी बादल इस रेखा के बजाए दक्षिण दिशा की तरफ होकर बढ़े हैं। जिससे अन्य राज्यों में उम्मीद से अधिक बारिश इसी का कारण है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो आंकड़ों के अनुसार इस बार जून से 4 अगस्त तक 448 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है। जबकि पिछले वर्षों के हिसाब से यह 550 मिमी के आसपास होनी थी। जुलाई में बारिश का औसत 299ः4 मिमी है जबकि 230 मिमी वर्षा हुई।
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