गत जुलाई में शुरुआती बारिश के बाद पूरा महीना ही सूखा रहा। मेरठ में 15 जुलाई तक सूखा बीता। मानसून ट्रफ पटरी पर लौटी तो 16 जुलाई के बाद बारिश की हल्की शुरूआत हुई। अगस्त में नियमित अंतराल पर बहुत हल्की बारिश हुई। लेकिन यह बारिश इलाकावार ही हुई। मौसम विज्ञानी का मानना है कि मानसून ट्रफ एक बार फिर दक्षिण की तरफ खिसकी है ऐसे में भादों के महीने में भी अब बारिश उम्मीद से कम ही होगी। कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डा एन सुभाष ने बताया कि मानसून द्रोणिका का इस तरह से खिसकना एक तरह से ग्लोबल वार्मिग के कारण हो रहा है। इसके चलते बारिश सामान्य से कम होने की उम्मीद है।
केरल और ओडिशा के तटों से मैदान की तरफ बढ़ते हुए मानसून का एक रास्ता होता है। इस काल्पनिक लाइन को मानसून द्रोणिका या ट्रफ कहा जाता है। इस वर्ष मानसूनी बादल इस रेखा के बजाए दक्षिण दिशा की तरफ होकर बढ़े हैं। जिससे अन्य राज्यों में उम्मीद से अधिक बारिश इसी का कारण है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो आंकड़ों के अनुसार इस बार जून से 4 अगस्त तक 448 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है। जबकि पिछले वर्षों के हिसाब से यह 550 मिमी के आसपास होनी थी। जुलाई में बारिश का औसत 299ः4 मिमी है जबकि 230 मिमी वर्षा हुई।