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Krishna Janmashtami 2018: भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद इस बार बन रहा यह दुर्लभ योग

locationमेरठPublished: Sep 01, 2018 02:25:55 pm

Submitted by:

sanjay sharma

दो सितंबर काे रखा जाएगा व्रत, तीन सितंबर की शाम तक रहेगा यह योग

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मेरठ। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बड़ा ही दुर्लभ योग बन रहा है। जन्माष्टमी के दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के साथ-साथ आकाश मंडल में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, शुक्र चार ग्रह उसी स्थिति में होंगे, जो भगवान कृष्ण के समय द्वापर युग में थे। यह कहना है ज्योतिषाचार्य पंडित विभोर इंदुसुत का। उन्होंने बताया क श्रीकृष्ण के प्राकट्य के समय और दो सितंबर की मध्यरात्रि में भी वैसी ही जन्म कुंडली बनेगी जैसी श्रीकृष्ण के प्राकटय क समय थी।
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इस योग में भगवान कृष्ण का हुआ था जन्म

पंडित विभोर इंदुसुत ने बताया कि इस बार दो व तीन सितंबर को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, पर जन्माष्टमी व्रत का महत्व दाे सितंबर रविवार को ही है। उन्होंने बताया कि दो सितंबर को सप्तमी तिथि और कृतिका नक्षत्र विद्वमान रहेंगे पर दो तारीख की रात 8 बजकर 46 मिनट अर्थात रात पौने नौ बजे अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और रात पौने नौ बजे से ही रोहिणी नक्षत्र भी आ जाएगा। जिससे 2 सितंबर को मध्यरात्रि के समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों ही उपस्थित होंगे। जैसा द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकटय के समय थे। जबकि अगले दिन 3 सितंबर को रात्रि 7 बजकर 19 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। रात में ही 8 बजे रोहिणी नक्षत्र भी समाप्त हो जाएगा।
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त्योहार का व्रत रखा जाएगा दो सितंबर को

जिसे तीन सितंबर को मध्यरात्रि में व्रत परायण क समय न तो अष्टमी तिथि होगी और न ही रोहिणी नक्षत्र तो इस सभी चीजों को देखते हुए हालांकि जन्माष्टमी पर्व तो दो और तीन सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा पर इस बार जन्माष्टमी का व्रत का महत्व दो सितंबर रविवार को ही होगा। उन्होंने बताया कि यह संयोग सदियों बाद लग रहा है, या यह मानें कि द्वापर युग के बाद पहली बार यह दुर्लभ संयोग है जबकि कृष्ण के जन्म के बाद पहली बार लग रहा है।
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