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अंतर्राष्ट्रीय पहलवान शिकायत के साथ पहुंची डीएम आफिस और मेडल वापस लेने का किया अनुरोध विद्वानों के अनुसार स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनकी कुंडली (Kundali) में सूर्य (Sun) मकर राशि (Makar Rashi) में था, यानि उस समय मकर संक्रांति 12 जनवरी को मनाया जाता था। विगत 72 वर्षों में 1935 के बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती है। वर्ष 2012 से 2100 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012, 16, 20, 21, 24, 28, 32, 36, 40, 44, 47, 48, 52, 55, 56, 59, 60, 63, 64, 67, 68, 71, 72, 75, 76, 79, 80, 83, 84, 86, 87, 88, 90, 91, 92, 94, 95, 99 और 2100 में संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। 2100 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2172 तक यह 16 जनवरी को रहेगी।
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Lohri Mahotsav पर ढोल-नगाड़ों पर खूब थिरके, एक-दूसरे को दी बधाई, देखें वीडियो वहीं ज्योतिषाचार्य डा. सुधाकाराचार्य त्रिपाठी के अनुसार सूर्य मकर के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है। डा. कंचन सिंह ने बताया कि सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करता है। एक राशि की गणना 30 अंश की होती है। सूर्य एक अंश की लंबाई 24 घंटे में पूरी करता है।
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विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलपति के नियम को बताया ‘काला कानून’ और कर दिया घेराव, देखें वीडियो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक वर्ष 365 दिन व छह घंटे का होता है, ऐसे में प्रत्येक चौथा वर्ष लीप ईयर भी होता है। चौथे वर्ष में यह अतिरिक्त छह घंटे जुड़कर एक दिन होता है। इसी कारण मकर संक्रांति हर चौथे साल एक दिन बाद मनाई जाती है। सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षों में पूरे 24 घंटे का हो जाता है। यही कारण है, कि अंग्रेजी तारीखों के मान से, मकर-संक्रांति का पर्व, 72 वषों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है।