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इस मुस्लिम शिक्षिका ने बदल दी सरकारी स्‍कूल की तस्‍वीर, मुख्‍यमंत्री योगी भी करते हैं तारीफ

locationमेरठPublished: Aug 23, 2019 03:20:59 pm

Submitted by:

sharad asthana

खास बातें-

Meerut के प्राथमिक विद्यालय फफूंडा की बदल गई सूरत
पब्लिक स्कूल की जगह इसको तरजीह दे रहे हैं बच्‍चे
पिछले साल लग गया था नो एडमिशन का बोर्ड

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मेरठ। उत्‍तर प्रदेश ( UP ) में सरकारी स्‍कूलाें का नाम आते ही जेहन में जर्जर बिल्डिंग, गंदगी और बिना पंखे या संसाधनों के पढ़ते बच्‍चों की तस्‍वीर सामने आ जाती है। लेकिन सूबे के कई जनपदों में टीचरों ने अपने दम पर स्‍कूल की तस्‍वीर बदल दी है। अब हालात ये हैं कि ऐसे स्‍कूलों में एडमिशन के लिए बच्‍चों की लाइन लगती है। इन्‍हीं में से एक है मेरठ ( Meerut ) का प्राथमिक विद्यालय फफूंडा।
प्रधानाचार्या कौसर जहां को जाता है इसका श्रेय

फफूंडा के इस प्राथमिक विद्यालय ने अपना नया मुकाम बनाया है। अब तो आलम यह है कि बच्‍चे पब्लिक स्कूलों की जगह इसको तरजीह दे रहे हैं। प्रधानाचार्या कौसर जहां को इसका श्रेय जाता है। इस स्‍कूल को बेसिक शिक्षा की बेस्ट प्रेक्टिसेज की किताब में भी जगह मिली है। इसमें कैसर जहां का लेख है कि किस तरह उन्‍होंने इस स्‍कूल की तस्‍वीर बदली है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ खुद प्रिंसिपल कौसर जहां की तारीफ कर चुके हैं। इसके लिए कौसर जहां को राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
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बेस्ट प्रेक्टिसेज की किताब हो रही है तैयार

दरअसल, बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से बेस्ट प्रेक्टिसेज की किताब तैयार हो रही है। इसमें कम से कम संसाधनाें में बेहतर शिक्षा देने वाले शिक्षकों के अनुभव को शामिल किया गया है। किताब में सूबे के 36 शिक्षकों के अनुभवों को लिया गया है। इन्‍हीं में से एक हैं कौसर जहां। किताब को मॉडल के तौर पर पेश किया जाएगा।
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ये कहते हैं बच्‍चे

मेरठ के प्राथमिक विद्यालय फफूंडा की लो‍कप्रियता का आलम यह है कि पिछले साल नो एडमिशन तक का बोर्ड लग गया था। यहां हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू भी पढ़ाई जाती है। यहां आने वाले बच्‍चों का कहना है कि पब्लिक स्कूल में उनको पढ़ाई बोझ लगती थी, लेकिन यहां वह खेल-खेल में पढ़ रहे हैं। उनको यहां काफी अच्‍छा लगता है।
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