रावण में लगे 100 बांस 80 फुट का रावण बनाने के लिए 100 बांस लगे। मेघनाथ व कुंभकर्ण के लिए 90-90 बांस लगाए गए हैं। इन बांसों से पतली डंडियां निकालकर पुतले के आकार बनाए गए हैं। रावण के पुतले में 80 किलोग्राम रद्दी, जबकि मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों में इनमें चार-चार किलो कम रद्दी लगार्इ गर्इ है। रावण के पुतले के उपर रंगीन का कागज के 20 जिस्ते (बड़ी शीट) लगाए जा रहे हैं और हर जिस्ते में 24 कॉपी होती है। यानि तीनों पुतलों पर 60 से 70 जिस्ते लगेंगे। इसी तरह इनको चिपकाने के लिए मैदा की लर्इ बनार्इ गर्इ है। एक पुतले पर 30 किलो लर्इ लग रही है। इसमें प्रति दो किलो मैदा में 50 ग्राम नीला थोथा डालकर लर्इ बनार्इ जाती है। साथ ही एक पुतले को बांधने के लिए दस किलो सुतली लग रही है। सबसे आखिर में पुतलों में आतिशबाजी लगार्इ जाती है। अमूमन 1000 से 1200 बड़े गोले तीनों पुतलों में लगाए जाते हैं। साथ ही अन्य आतिशबाजी भी। यह अलग बात है कि आयोजक पुतलों को किस तरह फुंकते देखना चाहते हैं, उसी तरह आतिशबाजी के गोले व अन्य बढ़ा दिए जाते हैं।
दशहरे से एक दिन पहले लगाया जाएगा भैंसाली मैदान में पुतले बना रहे असलम भार्इ का कहना है कि दशहरे से एक दिन पहले 29 सितंबर को पुतले तैयार करके खड़े कर दिए जाएंगे। पुतले फुंकने पर बहुत खुशी होती है, क्योंकि इसमें बुरार्इ पर अच्छार्इ की जीत दिखती है।
कर्फ्यू में भी बनाए पुतले असलम ने बताया कि 1982 आैर 1987 में मेरठ में साम्प्रदायिक दंगों के कारण कर्फ्यू लगा था। दशहरे पर तो हट गया था, लेकिन दशहरे से पहले पुतले बनाने के लिए कर्फ्यू में ही वह आैर उनके परिवार के लोगों को पुलिस की गाड़ी यहां लाती थी आैर पुतलों पर काम करवाकर वापस ले जाती थी। तब 50 से 60 फुट का रावण का पुतला होता था। इस बार 80 फुट का रावण है।