परिजनों की शिकायत के बाद खुलासा 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान मेरठ में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई किशोरों को मेरठ कारागार में बंद किया था। बताया जा रहा है कि उनके परिजनों ने पहले मेरठ पुलिस और एडीजी से गुहार लगाई थी। जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिजनों ने इसकी शिकायत एससी-एसटी आयोग और शासन को भेजी थी। इस पर कमेटी का गठन हुआ और जांच शुरू हुई। बताया जा रहा है कि एससी-एसटी आयोग की टीम ने जिला कारागार का निरीक्षण किया तो वहां पर आठ किशोर बंद मिले। इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी गई है। नियमानुसार किशोरों को बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाना चाहिए था।
आयोग को भेज दी गलत रिपोर्ट आरोप है कि आयोग ने किशोरों से संबंधित रिपोर्ट मेरठ प्रशासन और पुलिस ने मांगी थी, जिस पर मेरठ जिला प्रशासन और पुलिस ने आयोग को गलत रिपोर्ट भेज दी। इसमें कहा गया था कि जेल में कोई भी किशोर बंदी नहीं है। इसके बाद मेरठ कारागार में आयोग की टीम को भेजा गया था। इसमें टीम को कारागार में किशोर बंदी मिल गए थे। अब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कारागार में बंद किशोरों के परिजनों से कहा है कि उनके बच्चे बाल संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट कर दिए जाएंगे। उन पर लगी सभी धाराएं भी हटा दी जाएंगी। इस बारे में जब एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं है।