सरकार द्वारा स्टेंट की दरें निर्धारित करने के बाद माना जा रहा था कि इससे दिल के महंगे इलाज को कराने में गरीब लोगों को सुविधा होगी। लेकिन, प्राइवेट अस्पतालों ने स्टेंट के सस्ता होते ही एंजियोप्लास्टी का बाईपास प्लान बना लिया। जी हां, प्राइवेट अस्पतालों ने मुनाफा कमाने के लिए एंजियोप्लॉस्टी के दूसरे खर्चों को बढ़ा दिया है। मरीजों को इलाज के लिए अब जो पैकेज दिया जा रहा है, उसमें चिकित्सक की फीस के साथ-साथ उपकरणों और दवा की कीमत में दोगुनी वृद्धि कर दी गई है। इसके कारण एक स्टेंट डालने का बिल आज भी एक लाख रुपये से अधिक ही बैठ रहा है।
इन उपकरणों के लिए जा रहे अलग दाम एंजियोप्लास्टी में अब पंचर सेट, कैथेटर, एंजियो वायर, बैलून, दवाइयां, चिकित्सक की फीस, मरीज की डाइट का खर्च बढ़ा दिया गया है। क्या है स्टेंट
बैलून डालने के बाद नसों को फुलाकर छल्लादार स्टेंट लगा दिया जाता है। इससे रक्तप्रवाह लंबे समय तक दुरुस्त रहता है। पहले करीब 80 हजार से 1.20 हजार रुपये तक आता था एक स्टेंट।
जिले में प्रति माह एंजियोप्लास्टी मेरठ में अलग-अलग क्षेत्रो में प्रति माह अनुमानित 200 एंजियोप्लास्टी विभिन्न प्राइवेट चिकित्सालयों में होती है। हृद्य रोग चिकित्सक डॉ. ममतेष गुप्ता के अनुसार कैथ लैब के रखरखाव और स्टाफ के खर्चे में कमी नहीं की जा सकती। फिर भी जितना हो सकता है मरीज को छूट दी जाती है।