यह भी पढ़ेंः मेरठ के इस परिवार को मिला अखिलेश का सहारा, भाजपा पर साधा निशाना यह भी पढ़ेंः योगी की यह मंत्री बोली- रजवाड़े देश की आजादी की राह में थे विलेन रिश्तेदारों ने दुत्कारा तो खुद उठाई जिम्मेदारी 45 वर्षीय बबीता का कहना है कि जब उसके पति की मृत्यु हुई तो उसके पास कुछ भी नहीं था। करीब 15 साल पहले उसके सामने दुखों का पहाड़ था। चारों ओर लोग और रिश्तेदार यही कह रहे थे कि कैसे बच्चों को पालन पोषण होगा कैसे जिंदगी चलेगी। उसने बताया कि वह कम पढ़ी-लिखी थी, इसलिए नौकरी कर नहीं सकती थी तो उसने सब्जी बेचने का काम शुरू किया। यह बात जब उसने अपने ससुराल वालों को बताई तो उन्होंने इसके लिए मना किया और कहा अगर ऐसा करना है तो घर से निकलना होगा। उसके लिए घर में कोई जगह नहीं है। बबीता ने बताया कि वह अपने चारों बच्चों को लेकर घर से निकल पड़ी। जिस समय वह घर से बाहर निकली उस दौरान उसकी छत नीला आसमान और बिछौना धरती की गोद थी। आज वह अपने बीते दिनों को याद करती है तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। आज उसकी बड़ी बेटी कक्षा 10 में है और सबसे छोटा बेटा कक्षा पांच में है। उसकी इच्छा है कि उसके बच्चे खूब पढ़े।
यह भी पढ़ेंः वेस्ट यूपी में अब बिजली चोरी करते ही पकड़ लिए जाएंगे, यह फुल प्रूफ प्लानिंग हुर्इ तैयार यह भी पढ़ेंः सर्इदा खातून की इस बहादुरी को सलाम, जिससे डर गया था वन विभाग उसने पलक झपकते ही कर दिखाया यह काम सुबह पांच शुरू हो जाती है दिनचर्या बच्चों के लिए वह सुबह पांच बजे से उठकर अपनी दिनचर्या शुरू कर देती है। बड़ी सब्जी मंडी से सब्जी लाना और उसे धोकर बेचने का काम में जुट जाती है। बबीता की बड़ी लड़की सुरेखा जो कि कक्षा दस में मेरठ पब्लिक स्कूल की छात्रा है उसका कहना है कि वह बड़ी होकर मां को इतना सुख देना चाहती है कि मां अपने सभी पिछले दुखों को भूल जाए। बेटा जो कक्षा पांच में पढ़ता है उसका नाम कृष्णा है वह कहता है कि मां उसे अधिकारी बनाना चाहती है लेकिन वह डाक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहता है। उसके पिता की मृत्यु बीमारी से हुई थी, इसलिए वह डाक्टर बनकर ऐसे गरीब बच्चों के माता-पिता का इलाज करना चाहेगा जिनके सिर से बचपन में मां-बाप का साया न उठे।