कोर आफ ईएमई का काम सेना में युद्ध टैंक ठीक करने का है। शीशराम इसी कोर का हिस्सा थे। पेंटिंग बनाने का शौक उन्हें बचपन से था तो उन्होंने सेना में नौकरी करते हुए भी अपना यह शौक जारी रखा। अपनी मेहनत के चलते उन्होंने पेंटिंग बनाने में भी महारथ हासिल कर ली। सेना में ऐसे कलाकार कम ही देखने में मिलते हैं। इसलिए जब सैन्य अफसरों को शीशराम की कला का पता चला तो उन्होंने शीशराम को फोटोग्राफी, पेंटिंग से जुड़े अन्य प्रोजेक्ट भी करने के लिए दिए। आजादी की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर शीशराम को सेना द्वारा दिए जाने वाले मेडल डिजाइन करने का मौका दिया गया। उन्होंने जो मेडल डिजाइन किए गए, वे सैन्य अफसरों को काफी पसंद आए थे। तब से उनके डिजाइन किए मेडल आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और पैरा मिलिट्री फोर्स के सम्मान के दौरान दिए जाते हैं।
शीशराम पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन और उनकी पत्नी की आयल पेंटिंग सिल्वर प्लेट पर बनाकर गिफ्ट कर चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने उन्हें पुरस्कार से नवाजा। सेवानिवृत्त फौजी शीशराम को अब तक 50 से ज्यादा मेडल और पुरस्कार मिल चुके हैं। सेना में नौकरी करने के बाद शीशराम देशभक्ति का जज्बा युवाओं में पैदा करने के लिए अपनी पेंटिंग्स के जरिए देने में जुटे हैं। उनका कहना है कि मेरठ समेत वेस्ट यूपी में ललित कला एकेडमी की स्थापना होनी चाहिए, ताकि उभरते कलाकारों को बेहतर मंच मिल सके।