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Reality Check: इस स्कूल की छत के सुराखों से झांकता सूरज तो बरसात में तालाब बन जाती क्लासें, क्योंकि ये सांसद का गोद लिया गांव है, देखें वीडियो

locationमेरठPublished: Jan 16, 2019 03:55:22 pm

Submitted by:

sanjay sharma

‘पत्रिका’ टीम ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल के गोद लिए गांव बहादुरपुर का किया दौरा तो यह मिली तस्वीर
 

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Reality Check: इस स्कूल की छत के सुराखों से झांकता सूरज तो बरसात में तालाब बन जाती क्लासें, क्योंकि ये सांसद का गोद लिया गांव है, देखें वीडियो

केपी त्रिपाठी, मेरठ। खूब पढ़ो, आगे बढ़ो, बेटी बचाओे-बेटी पढ़ाआे जैसे स्लोगन देने वाली केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार में बेटियों के इस स्कूल की हकीकत जानकर हैरान हो जाएंगे। ये कोई ऐसा-वैसा गांव का स्कूल नहीं बल्कि उस वीआईपी गांव बहादुरपुर का स्कूल है जिसे मेरठ-हापुड़ लोकसभा से भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने गोद लिया है। इससे पहले भी हम इस गांव की दुर्दाशा और इसकी उन तरक्की के बारे में आपको अवगत करा चुके हैं जो कि भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने करवाई। गांव की सर्पीली सड़कों को पार करते हुए पत्रिका टीम जैसे ही इस गांव के भीतर घुसती है तो इस स्कूल की जर्जर बिल्डिंग से सामना होता है। स्कूल की बिल्डिंग देखते ही समझ आ जाता है कि दशकों से इसकी कोई मरम्मत या पुताई इत्यादि नहीं हुई है। स्कूल के भीतरी परिसर की दशा कुछ ज्यादा ही दीनहीन हालत में दिखाई दी। स्कूल के कुछ अध्यापक और प्रधानाचार्य से जब इसके बारे बात की गई तो उनके भीतर का गुबार फूटा।
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बच्चों की फीस भरोसे चल रहा स्कूल

गांव बहादुरपुर के भीतर घुसते ही शुरूआती छोर पर बने इस स्कूल की स्थापना को करीब 30 साल हो गए। वित्तविहीन इस स्कूल का पूरा खर्च स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के भरोसे ही चल रहा है। एक बच्चे से 80 रूपये महीना फीस के लिए जाते हैं। उन्हीं फीस से एकत्र धनराशि से स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों और स्कूल के मरम्मत के अलावा अन्य जरूरी खर्चे पूरे किए जाते हैं।
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तालाब बन जाती हैं क्लासें

थोड़ा और भीतर जाकर स्कूल के बारे में जानने की कोशिश के तहत पत्रिका टीम स्कूल की क्लास से रूबरू हुई। क्लास में छत के बीचों बीच अनगिनत सुराखों से भगवान भास्कर की असंख्य किरणें अंधेरी क्लास की फर्श पर रोशनी फैला रही थी। अध्यापकों ने बताया कि सर्दी के मौसम में तो ठीक है, लेकिन गर्मी और बरसात के मौसम में तो इन कक्ष में पढ़ाई मुश्किल हो जाती है। बरसात के दिनों में क्लास लबालब भरी रहती है। क्लास तालाब बन जाती है। जिसके चलते स्कूल की छुट्टी कर देनी पड़ती है। गर्मी में इन सूरज की किरणों से बच्चों को बचाने के लिए इधर-उधर बैठाना होता है।
बरसात और गर्मी में छाते के नीचे पढ़ार्इ

अध्यापक बताते हैं कि बरसात और गर्मी में मौसम से बचने के लिए कई छात्र तो अपने घर से छाता लेकर आते हैं और वे छाते के नीचे बैठकर अध्यापन कार्य करते हैं। प्रधानाचार्य रणवीर सिंह बताते हैं कि स्कूल का खर्चा बच्चों की फीस से ही निकलता है जो कि प्रति बच्चा 80 रूपये है। बरसात और गर्मी के दिनों में हम खुद बच्चों से कहते हैं कि वे अपने घरों से छाता लेकर आए।
बिना बेंच और धूल-गंदगी के बीच बना रहे भविष्य

स्कूल की बेंच जर्जर हालात में हैै। पूरे स्कूल में किसी क्लास में कोई बेंच नहीं है। बच्चे धूल-गंदगी के बीच अपना भविष्य बना रहे हैं। प्रधानाचार्य राजपाल से जब बात की गई कि क्या वह कभी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल से स्कूल की बदहाली को लेकर मिले तो उनका कहना था कि साहब मिले क्या। उनका तो रास्ता भी स्कूल के सामने से ही होकर जाता है। जब वे कभी आए ही नही तो मिले क्या। गांव वालों ने स्कूल की मरम्मत की बात सांसद के सामने रखी थी, लेकिन कुछ हुआ नहीं। स्कूल के खेल परिसर की दीवारें भी टूटी हुई हैं। जहां से जंगली जानवर भीतर घुस आते हैं खूंखार कुत्तों का कई बार छात्र शिकार भी हो जाते हैं।
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भाजपा सांसद के क्षेत्र में बसपा नेता का गुणगान

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भाजपा सांसदों और विधायकों को मंत्र देते नहीं थकते कि वे क्षेत्र में जाकर अपनी पहचान बनाए। पार्टी की छवि को बेहतर करने का काम करें। लेकिन भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल के इस संसदीय क्षेत्र में उनके गोद लिए गांव में जब बसपा नेता की तारीफ सुनी तो अमित शाह के उपरोक्त मंत्र की याद आ गई। स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि स्कूल के लिए दो कमरों का निर्माण बसपा नेता याकूब कुरैशी ने करवाया है। वह भी तब जबकि वह न तो सांसद हैं और न इस क्षेत्र का विधायक। जबकि इस गांव का विधायक और सांसद दोनों भाजपाई है।
बोले सांसद

इस बारे में जब सांसद राजेन्द्र अग्रवाल से बात की गई तो उनका कहना था कि उनको इस स्कूल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। स्कूल की समस्या को लेकर कोई उनके पास नहीं आया।
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