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मोहर्रम की तीसरी तारीख को हाजी अली शाह जैदी ने अपने बयान से सभी को चौंकाया

locationमेरठPublished: Sep 04, 2019 06:45:03 pm

Submitted by:

Iftekhar

शहर में जगह-दगह मजलिस, अलम और जुलूस का दौर शुरू
मजलिस में सूफी संतों की परंपरा को किया गया याद

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मेरठ. मोहर्रम की तीसरी तारीख को भी शहर सहित जैदी फार्म, लोहिया नगर में हजरत इमाम हुसैन और शोहदा-ए-कर्बला की याद में अनेको इमामबारगाहों और अजाखानों में मजलिसें हुई। वहीं, कई स्थानों पर सोगवारों ने मातमी जुलूस भी निकाला। इस दौरान हाजी अली शाह जैदी ने मजलिश में तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली के नाथरशाह के बारे में बताया। नाथरशाह ने इसी स्थान पर रहकर लोगों को 969 से 1039 के बीच करूणा, अध्यात्मिक प्रेम का मार्ग दर्शन दिया। इससे पूर्व सपने में पैगम्बर मोहम्मद साहब ने उन्हें निर्देश दिया था कि वे 900 फकीरों के साथ दक्षिण भारत में आध्यात्मिक गुरूओं की तलाश करें।

एक किंवन्ती के अनुसार नाथ बली का मकबरा उसी स्थान पर स्थिति है। जहां उन्होंने एक राक्षस तिरियासूर का वध किया था, जो स्थानीय लोगों को सताया करता था। इस सूफी संत को सांप्रदायिक सदभावना के उपासक के रूप में भी जाना जाता है। जो बिना किसी धार्मिक भेदभाव के लोगों से सर्वशक्तिमान ईश्वर से आध्यात्मिक प्रेम करने के लिए कहा करते थे। इस संत को श्रद्धांजति देने के लिए सभी धर्मो, संप्रदायों और क्षेत्र के अध्यात्मिक गुरू शहर ने 17 दिवसीय उर्स मनाने के लिए एकत्र होते हैं। भारत की परम्परा और विरासत में मिली जुली संस्कृतियां समाहित है।

इस संस्कृतियों को सूफी-संतों, फकीरों और कलंदरों ने प्रचीनकाल से लेकर अब तक बनाए रखा है। इसके बाद इमामबारगाह जाहिदियान से रात 8 बजे 59 वां जुलूस-ए-अलम और करबला इराक से आया परचम गमगीन माहौल में और बड़ी अकीदत के साथ बरामद हुआ। इससे पूर्व मौलाना गुलाम अब्बस नौगानवी ने मजलिस में हजरत अब्बास की शहादय बयां की।

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