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मेरठ

दारुल उलूम के फतवे पर मुस्लिम धार्मिक नेता मौन, लेकिन इतनी बड़ी बात भी कह दी, देखें वीडियो

मेरठ के शहर काजी जैनुर राशिद्दीन ने फतवे पर टिप्पणी की
हिन्दू-मुस्लिम की तहजीब वाले देश में स्वाभाविक है गले मिलना
कहा- सदियों से गले मिलते आए हैं तो ये गलत कैसे हुआ

मेरठJun 04, 2019 / 07:04 pm

sanjay sharma

meerut

देवबंद के फतवे पर मुस्लिम धार्मिक नेता मौन, लेकिन इतनी बड़ी बात भी कह दी, देखें वीडियो

मेरठ। देश में सबसे बड़ी इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने ईद से ठीक पहले एक फतवा जारी कर विवादों को हवा दे दी है। देवबंद से जारी इस फतवे के खिलाफ मुस्लिम धर्म गुरू बोलने को तैयार नहीं हैं। कहीं न कहीं इस फतवे को लेकर मुस्लिम धर्म गुरूओं में एकराय भी नहीं है। ईद पर गले मिलने को बिदअत करार दिए जाने के इस फतवे के खिलाफ मेरठ के शहरकाजी जैनुर राशिद्दीन ने टिप्पणी की है। हालांकि उन्होंने यह कहते हुए बचाव किया जो फतवा जारी किया गया है। वह शरीयत के नियमों के अनुसार जारी किया गया है। इस पर उन्हें कुछ टिप्पणी नहीं करनी है।
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गले मिलना गलत नहीं है

शहरकाजी जैनुर राशिद्दीन ने यह भी कहा कि हमारा देश हिन्दू-मुस्लिम की एकता और तहजीब वाला देश है। हम सभी लोग मिलजुलकर ईद और अन्य त्योहार मनाते हैं। इसमें एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद और बधाई देते हैं। ऐसे में एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद देना कहीं से कहीं तक गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लोग आज से नहीं सदियों से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते रहे हैं। तो यह गलत कैसे हो गया।
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ये था देवबंद का फतवा

बता दें कि देवबंद से जो फतवा जारी हुआ है, उसमें ईद के दिन गले मिलने को बिदअत करार दिया गया है। ईद से पहले जारी किया गया फतवा चर्चा का विषय बन रहा है। पाकिस्तान के एक व्यक्ति ने दारुल उलूम से लिखित में सवाल पूछा था कि क्या ईद के दिन गले मिलना मोहम्मद साहब के अमल (जीवन में किए गए कार्यों) से साबित है। अगर हमसे कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो क्या उससे गले मिल लेना चाहिए। सवालों के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने दिए फतवे में स्पष्ट कहा कि ईद के दिन एक-दूसरे से गले मिलना मोहम्मद साहब और सहाबा किराम से साबित नहीं है। इसलिए बाकायदा ईद के दिन गले मिलने का एहतेमाम करना बिदअत (मोहम्मद साहब के जीवन से हटकर) है। हां, अगर किसी से बहुत दिनों बाद इसी दिन मुलाकात हुई हो तो फितरतन मोहब्बत में उससे गले मिलने में कोई हर्ज नहीं है। अगर कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो उसे प्यार से मना कर दिया जाए, लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि लड़ाई-झगड़े की शक्ल पैदा नहीं होनी चाहिए।
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