यह भी पढ़ेंः र्इद पर ‘मोदी स्टाइल कुर्ता’ बन रहा युवाआें की पसंद, देखें वीडियो गले मिलना गलत नहीं है शहरकाजी जैनुर राशिद्दीन ने यह भी कहा कि हमारा देश हिन्दू-मुस्लिम की एकता और तहजीब वाला देश है। हम सभी लोग मिलजुलकर ईद और अन्य त्योहार मनाते हैं। इसमें एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद और बधाई देते हैं। ऐसे में एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद देना कहीं से कहीं तक गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लोग आज से नहीं सदियों से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते रहे हैं। तो यह गलत कैसे हो गया।
यह भी पढ़ेंः जलसे में सांप्रदायिक सौहार्द की बातें, मौलाना दे रहे मंदिर आैर हनुमान चालीसा की मिसाल ये था देवबंद का फतवा बता दें कि देवबंद से जो फतवा जारी हुआ है, उसमें ईद के दिन गले मिलने को बिदअत करार दिया गया है। ईद से पहले जारी किया गया फतवा चर्चा का विषय बन रहा है। पाकिस्तान के एक व्यक्ति ने दारुल उलूम से लिखित में सवाल पूछा था कि क्या ईद के दिन गले मिलना मोहम्मद साहब के अमल (जीवन में किए गए कार्यों) से साबित है। अगर हमसे कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो क्या उससे गले मिल लेना चाहिए। सवालों के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने दिए फतवे में स्पष्ट कहा कि ईद के दिन एक-दूसरे से गले मिलना मोहम्मद साहब और सहाबा किराम से साबित नहीं है। इसलिए बाकायदा ईद के दिन गले मिलने का एहतेमाम करना बिदअत (मोहम्मद साहब के जीवन से हटकर) है। हां, अगर किसी से बहुत दिनों बाद इसी दिन मुलाकात हुई हो तो फितरतन मोहब्बत में उससे गले मिलने में कोई हर्ज नहीं है। अगर कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो उसे प्यार से मना कर दिया जाए, लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि लड़ाई-झगड़े की शक्ल पैदा नहीं होनी चाहिए।