script6 December : बाबरी मस्जिद मुद्दे को भुलाकर आगे बढ़ें, मुल्क की सांप्रदायिक सौहार्द भावना पर जोर | Muslims move ahead forgetting the Babri Masjid issue | Patrika News

6 December : बाबरी मस्जिद मुद्दे को भुलाकर आगे बढ़ें, मुल्क की सांप्रदायिक सौहार्द भावना पर जोर

locationमेरठPublished: Dec 06, 2021 11:10:51 am

Submitted by:

Kamta Tripathi

6 December : आज छह दिसंबर विवादित गुुंबद को ढहाए जाने की बरसी है। आज मेरठ सहित पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया है। मेरठ में चप्पे—चप्पे पर पुलिस और पीएसी तैनात की गई है। वहीं इसको लेकर कई स्थानों पर सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। दोनों ही समुदाय के लोग मुल्क की अमनो—अमान की दुआ मांग रहे हैं।

6 December : बाबरी मस्जिद मुद्दे को भुलाकर मुसलमान आगे बढ़ें, मुल्क की सांप्रदायिक सौहार्द भावना पर जोर

6 December : बाबरी मस्जिद मुद्दे को भुलाकर मुसलमान आगे बढ़ें, मुल्क की सांप्रदायिक सौहार्द भावना पर जोर

मेरठ. 6 December : 6 दिसंबर, 1992 भारतीय इतिहास में कई यादों के रूप में दर्ज हो गई है। जब विशाल भीड़ ने अयोध्या में विवादित गुंबद को ढहा दिया था और यह दावा किया था कि यह स्थान भगवान श्रीराम का पवित्र जन्मस्थान है। तब यह घटना देश के अलग-2 भागों में एक ध्यान का केंद्र बन गई। इस घटना के कारण भारत में सांप्रदायिक सद्भाव छिन्न-भिन्न हो गया और परोक्ष रूप में हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच एक सांप्रदायिक लकीर खिंच गई। उसके बाद से हर साल 6 दिसंबर को दोनों ही संप्रदाय के लोग अलग—अलग तरीके से याद करते हैं। यह बातें आज सांप्रदायिक सदभाव के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में इफ्तार खान ने कहीं। कार्यक्रम में दोनों समुदाय के लोग मौजूद थे।
कार्यक्रम में इफ्तार खान ने भारतीय मुसलमानों से अनुरोध किया कि वे अब अयोध्या विवाद भूल जाए। यह विवाद अब समय के साथ दफन हो चुका है। उन्होंनें कहा कि इस घटना से मुल्क की सांप्रदायिक सौहार्द भावना कम होने लगी है। इस विवाद से दोनों समुदायों के बीच नफरत का महौल पैदा हुआ। जिसके कारण तनाव बढ़ गया था। अब जरूरत इस बात की है कि मुसलमान उच्चतम न्यायालय के आदेश को दिल से स्वीकार करें तथा आगे बढ़ें। क्योंकि इस विवाद से पहले ही बहुत से लोग बर्बाद हो चुके हैं।
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मुसलमानों को भारत की अखंडता पर ध्यान आर्कषित करना चाहिए क्योंकि इस घटना के कारण हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों के ही दिमाग में एक दुसरे के प्रति द्वेष की भावना बनी हुई हैं। भारतीय प्रायद्वीप में सूफी संतों की अमनपूर्ण-तालीमों के सहारे इस्लाम का प्रचार-प्रसार हुआ है। यह पैगंबर मोहम्मद का धैर्य ही था, जिसके कारण उन्होंने बिना तलवार चलाए ही मक्का विजय प्राप्त की।
कारी मोहम्मद शरीफ ने कहा कि देश के मुसलमानों को अपने उज्ज्वल भविष्य पर ध्यान देना चाहिए जो केवल तालीम एवं रोजगार से ही प्राप्त किया जा सकता है। हम केवल विश्वास एवं सौहार्द का सेतु बना सकते हैं, जो भारत में अमन लाएगा एवं भारत की अखंडता को मजबूत करेगा, जैसा कि कुरान कहता है। कार्यक्रम के बाद मुल्क की अमन के लिए दुआ मांगी गई और नमाज अदा की गई।
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