सांझी को देवी मां की संज्ञा दी जाती है। जो नवरात्र में नौ रूपों में पूजी जाती है। भाद्रपद अमावस्या के दिन गांवों में छोटे-छोटे बच्चे एवं बच्चियां मिलकर हाथ में दीपक लेकर निकलते हैं। घरों में गोबर, चूड़ी के टुकड़े, कपड़ों की कतरन व आदि से देवी मां की झलक देने वाली सांझी दीवार पर बनाई जाती है। प्रतिदिन शाम को आस-पास के बच्चे एकत्र होकर सांझी को खाना खिलाती हैं तथा गीत गाते हैं। लेकिन, सांझी की परंपरा और उसके गीत अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। हालांकि मेरठ के गांव और कस्बों में यह परंपरा अभी भी है। जबकि शहरों में यह परंपरा कुछ मोहल्लों तक ही सीमित होकर रह गई है।