हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण वातावरण में तैर रहे जहरीले कण शरीर में तेजी से प्रवेश कर रहे हैं। वातावरण में तैरते ये हानिकारक तत्व हवा के माध्यम से शरीर में पहुंचकर कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का खतरा बढ़ा रहे हैं। इससे दिल की बीमारी के साथ ही त्वचा कैंसर का खतरा अधिक बन रहा है। मेरठ कॉलेज के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाॅ. कंचन सिंह के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हवा में कैडमियम, लेड और मोलिब्डेनम की मात्रा खतरनाक स्तर से कई गुना ज्यादा मिली है। इसका कारण यहां पर हरियाली का नष्ट होना और फैक्ट्रियों द्वारा भारी प्रदूषण फैलाना है।
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Weather Update: दशहरे के दिन तेज हवा के साथ गिरा पारा, ये है आज मौसम का हाल हवा में विषाक्त कणों का घनत्व बढ़ने लगा क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने बताया कि टेरी नामक संस्था ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें नई दिल्ली व पड़ोसी शहरों की हवा में जिंक, लेड, मालिब्डेनम, कैडमियम, मैंगनीज, आर्सेनिक, निकिल, सेलेनियम एवं मरकरी की मात्रा सालभर में दोगुना बढ़ने की बात कही गई है। वाहनों के संचालन एवं कई औद्योगिक इकाइयों से भी भारी धातुएं उत्सर्जित होकर हवा में पहुंचती हैं। सर्दियों के मौसम से पहले हवा में विषाक्त कणों का घनत्व बढ़ने लगा है।
17 प्रकार के प्रदूषक हैं हवा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण के लिए 17 प्रकार की इकाइयों को जिम्मेदार बताया है। मेरठ में डीजल वाहनों, पुराने जनरेटरों एवं औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले सल्फर, निकिल, नाइटोजन एवं वोल्टाइल आर्गेनिक कंपाउंड से हवा तेजी से जहरीली हो रही है।
हेवी मेटल यानी भारी तत्व की बढ़ी मात्रा तत्व ———- सालभर में बढ़ी मात्रा
लेड ———- 1.8 गुना
मॉलिब्डेनम — 2.13 गुना
आर्सेनिक —– 5.1 गुना
निकिल ——– 5 गुना
मरकरी ——– 20 गुना
कैडमियम —– 2.5 गुना
जिंक ———– 1.7 गुना
प्रदूषणकारी इकाइयों को नोटिस प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ. योगेंद्र ने बताया कि जिलाधिकारी की निगरानी में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विषाक्त धुआं छोड़ने वाली इकाइयों पर शिकंजा कर रहा है। प्रदूषणकारी इकाइयों को नोटिस दिया है। धूलकण उत्सर्जित करने वाली निर्माण इकाइयों को भी रोका जा रहा है।