प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक माह के अंदर रकम की वसूली करेगा। एनजीटी ने गांवड़ी गांव में कचरा डालने पर यह कार्रवाई की है। एनजीटी ने निगम की इस हरकत को सेहत से खतरनाक खिलवाड़ करार दिया है। अपीलकर्ता नवीन प्रधान ने भूजल विषाक्त होने से 22 लोगों की मौत होने पर एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। अपीलकर्ता पर्यावरणविद नवीन प्रधान ने एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई थी कि मेरठ शहर का करीब 900 टन ठोस कचरा गांवड़ी गांव में डंप किया जा रहा है। एनजीटी पीठ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए निर्णय सुनाया और निगम को पर्यावरण प्रदूषण का दोषी करार दिया। पीठ ने स्पष्ट किया कि गांवड़ी गांव में ठोस कचरे को जलाने से वायु प्रदूषण निवारण एक्ट एवं वाटर प्रिवेंशन एक्ट-1974 का उल्लंघन हुआ है। डपिंग के तरीके से भूजल में विषाक्त रसायन घुलने से आसपास के लोगों को जानलेवा बीमारियां हुई।
एनजीटी की टीम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 2019 में दौरा भी किया था। टीम को दौरे के दौरान तेज दुर्गंध और कचरा जलता मिला था। एनजीटी ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी तथ्यों का आकलन किया। इसके बाद जारी फैसले में स्पष्ट किया कि विषाक्त कचरे से पर्यावरण एवं स्थानीय लोगों की सेहत को भारी क्षति पहुंचने का खतरा है। भरपाई के लिए 24 लाख रुपए जुर्माना भरने का आदेश दिया। बता दें कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इससे पहले 2018 में गांवड़ी में ठोस कचरा डालने को लेकर नगर निगम से जवाब तलब किया था लेकिन निगम ने कोई जवाब नहीं दिया था।