यह भी पढ़ें- दाे मैकेनिक गिरफ्तार: माईक्रोवेव से स्मार्ट मीटर को टैम्पर कर डिस्प्ले कर देते थे गायब विवि के अनुसार, दूसरी पाली में नौ और तीसरी में दस स्टूडेंट करते पकड़े गए। विवि के मुताबिक इन्हें उम्मीद थी कि कोरोना संक्रमण के चलते कोई चेकिंग नहीं होगी। शिक्षक संक्रमण के डर से उन्हें छुएंगे भी नहीं। ऐसे में वे नकल ले आए। सचल दस्तों के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें सर्दी, बुखार या अन्य लक्षण है तो सभी ने इंकार कर दिया। नकलचियों ने कहा कि सेंटर के बाहर दूर से ही प्रवेश पत्र चेक किए जा रहे थे। ऐसे में उन्हें लगा कि परीक्षा में कोई उन्हें नहीं छुएगा और वे नकल करने में सफल हो जाएंगे। वहीं गुरुवार को दूसरी पाली में 4929 और तीसरी में 6972 परीक्षार्थियों में से क्रमश: 633 एवं 442 ने पेपर छोड़ दिए।
मास्क बना नकल का हथियार परीक्षा में सुरक्षा के लिए लागू मुंह पर मास्क का छात्र गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं। सचल दस्तों के सूत्रों के अनुसार परीक्षाथी मुंह पर मास्क लगाकर आसपास के छात्रों से बात कर रहे हैं। मास्क लगा होने से यह पता नहीं चल पाता कि कमरे में कौन सा छात्र बोल रहा है। चूंकि ऑब्जेक्टिव पैटर्न के पेपर हैं। ऐसे में छात्र मास्क लगाकर आगे या बराबर के छात्र से उत्तर पूछते रहते हैं। कक्ष निरीक्षकों के बार-बार टोकने पर भी छात्र बाज नहीं आ रहे। कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन मास्क लगा होने से यह पता नहीं चलता कि कौन छात्र बात कर रहा है। विवि के सर छोटूराम सेंटर में बने कंट्रोल रूम में भी कुछ ऐसी ही समस्या सामने आ रही है। कंट्रोल रूम में कक्षों से आवाज नहीं आती ऐसे में मुश्किल और बढ़ गई है।