पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद का वजूद 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से कम होने लगा था। छोटे चौधरी का ग्लैमर किसानों के बीच कम हुआ तो भाजपा की तरफ झुकाव होने लगा। इसी बीच मुजफ्फरनगर में हुए कवाल कांड ने पश्चिमी यूपी का पूरा राजनैतिक परिदृश्य ही बदल दिया जिसमें रालोद समेत सपा और बसपा भी हवा में उड़ गई और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जाटों के इस बाहुल्य इलाके में जबरदस्त जीत हांसिल की जाति और मुद्दों के बजाय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ जिसका परिणाम 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला नतीजन, रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को हार का सामना करना पड़ा।
नए कृषि बिल के विरोध स्वरूप हुए किसान आंदोलन के बाद से इस क्षेत्र की राजनैतिक तस्वीर अब बदल गई है जिसका फायदा रालोद उठाना चाहती है। यही कारण है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान महापंचायतें कर जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी इलाकों को पूरी तरह से मथ डाला। जाट बहुल्य इस क्षेत्र में उनके इस भ्रमण का असर इस पंचायत चुनाव में भी दिख रहा है। इसी कारण से पंचायत चुनाव को 2022 के विधानसभा चुनाव का ट्रायल माना जा रहा है।
एक बार फिर से मुस्लिम और जाट को एक मंच पर लाने की कोशिश
एक बार फिर से इस बदले राजनैतिक समीकरण के तहत रालोद ने जाट और मुस्लिम को एक मंच पर लाने की कोशिश की है। पार्टी की ये कोशिश रंग लाती प्रतीत हो रही है। रालोद के महासचिव डॉक्टर मैराजुददीन कहते हैं कि जाट और मुस्लिम इस क्षेत्र में हमेशा से एक रहा है। भाजपा ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर इन दोनों को अलग किया और अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की।
पंचायत चुनाव के लिए मेरठ के सभी 33 वार्ड में भाजपा और रालोद ने जातीय समीकरण के आधार पर टिकट का बंटवारा किया। सिवालखास विधानसभा क्षेत्र की सभी सीट अनारक्षित हैं। बावजूद इसके वार्ड 14 को छोड़कर बाकी पर भाजपा ने जाट प्रत्याशी उतारे हैं। कारण साफ है कि जाट मतदाता यहां किसान आंदोलन के तहत भाजपा से कटेंगे। ऐसे में जाट प्रत्याशी जाट वोटों में सेंधमारी करेगा तो अन्य बहुसंख्यक वोट भाजपा को मिलेंगे। इसी तरह से दलों ने अन्य सीटों पर भी जातीय गणित का ध्यान रखा है। रालोद ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा जताया है। रालोद को उम्मीद है कि बदले राजनैतिक परिदृश्य के अनुसार जाट वोट तो उसका है ही, मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारने से मुस्लिम और जाट वोट मिलकर जीत की राह तय करेंगे। रालोद ने 22 वार्ड में प्रत्याशी तय किए हैं जिसमें मुस्लिम नौ, जाट पांच अनुसूचित जाति से पांच हैं। एक खटीक, एक-एक ठाकुर और त्यागी बिरादरी से प्रत्याशी है।
बसपा का दलित, गुर्जर और मुस्लिमों पर दांव
सपा ने मुस्लिम और गुर्जर कार्ड ज्यादा खेला है जबकि बसपा ने दलित गुर्जर के साथ मुस्लिम कार्ड चला है। कांग्रेस भी मुस्लिम और गुर्जर बिरादरी पर ज्यादा दांव लगा रही है।
जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की तगड़ी घेराबंदी के लिए सपा-रालोद और भाकियू एकजुट हुए हैं। सपा और रालोद ने वरिष्ठ भाजपा नेता यशपाल पंवार, वीरपाल निर्वाल, सतेंद्र दीवान और अर्जुन तोमर को कड़ी टक्कर देने की रणनीति बनाई है। चुनाव मैदान में जहां सपा समर्थित प्रत्याशी है वहां रालोद ने समर्थन कर दिया है। वहीं रालोद समर्थित प्रत्याशी का सपा ने समर्थन कर दिया है जिला पंचायत के जानसठ क्षेत्र के वार्ड 33 पर भाजपा के वरिष्ठ नेता यशपाल पंवार चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर सपा ने शिव कुमार सैनी को प्रत्याशी बनाया है। रालोद अध्यक्ष अजीत राठी ने पत्र जारी कर यहां सपा को समर्थन कर दिया है। यशपाल पंवार की घेराबंदी की जा रही है कि उन्हें वार्ड चुनाव में ही आगे बढ़ने से रोका जा सके। वार्ड 42 से भाजपा के वरिष्ठ नेता वीर पाल निर्वाल चुनाव लड़ रहे हैं।
इस पंचायत चुनाव में भाजपा विधायकों की कड़ी परीक्षा है। कारण साफ है जो भी टिकट पंचायत चुनाव में वार्डों के लिए बांटे गए उनमें भाजपा विधायकों के समर्थकों और उनकी पसंद के लोगों को तरजीह दी गई। ऐसे में अपने लोगों को चुनाव जितवाना भाजपा विधायकों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।