युवा दिवस पर विशेष : इस लाईब्रेरी में पढ़ते थे स्वामी विवेकानंद, धराेहर बन गई हैं यहां की किताबें
पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार इस साल 2021 में पौष अमावस्या सू्र्य के उत्तरायण से ठीक एक दिन पहले पड़ रही है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से पौष मास को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि सूर्य उत्तरायण से एक दिन पहले पड़ रही है। ज्योतिष के अनुसार पौष अमावस्या सर्वसिद्धिदायक, सफलताकारी और पितरों को मोक्ष प्रदान करती है। कहा जाता है इस दिन धार्मिक कार्य, स्नान, दान, पूजा-पाठ और मंत्र जप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।पौष अमावस्या तिथि मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू हाे जाएगी। अमावस्या तिथि समाप्त- 13 जनवरी, 2021, दिन बुधवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर हाेगी।
पौष अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने की पूजा विधि
1. पौष अमावस्या के दिन स्नान के बाद तांबे के पात्र में शुद्ध जल से सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य में लाल पुष्य या लाल चंदन डालना उत्तम माना जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों को तर्पण देना चाहिए। मान्यता है कि पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या के दिन पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखना चाहिए। पौष अमावस्या के दिन गरीबों को भोजन कराने से किस्मत खुलती है।
पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि इस दिन पितृ दोष की शांति कराने से तरक्की में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। पितृ दोष दूर होने से संतान की उत्पत्ति में आने वाली बाधाएं खत्म हो जाती हैं। पितृ दोष दूर होने से बिजनेस या नौकरी संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है।