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फलीय पौधों का कारोबार करने वाले शाहनवाज कहते हैं कि आडू की ये वैरायटी जून-जुलाई में बोई जाती है। मेरठ और पश्चिमी उप्र के किसानों का रूझान अब फलों की खेती को ओर अधिक है। इससे जहां किसानों को आर्थिक लाभ अधिक होता है वहीं दूसरी ओर इसकी देखरेख में मेहनत और लागत और भी कम आती है। उन्होंने बताया कि मेरठ में अर्ली प्रभात की वैराइटी किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय है। अर्ली प्रभात में 3 से 5 फीट का पौधा भी फसल देनी शुरू कर देता है। प्रभात प्रजाति के पौधे का आडू खाने में अत्यन्त मीठा और लजीज होता है। यह भी पढ़ें