मेरठ के शास्त्रीनगर में इन दिनों लोग घरों के बाहर बेकार पड़ी जमीन का उपयोग कर घर मे खाने लायक सब्जी पैदा कर रहे हैं। अधिकांश लोगों ने घर के बाहर ही जमीन के आगे बैरीकेटिंग कर घर में ही हरी.भरी सब्जियां उगा रखी हैं। लौकी खाना हो या कद्दू अथवा साग, यह सब उनके इस गार्डन में उपलब्ध है। गोभी से लेकर हरी पत्तेदार सब्जी मकान के परिसर में खाली जमीन पर तैयार हो रहे हैं। घर के बाहर उगाई जा रही इन सब्जियों में ना सिर्फ शुद्ध होने की गारंटी है, बल्कि ये पूरी तरह आर्गेनिक भी हैं। घर में उगी सब्जियां खाने का शौक बाजार की सब्जियां खरीदने की मजबूरी को खत्म कर रहा है। ज्यादातर लोग सब्जियों के लिए बाजार पर निर्भर रहते हैं। कम लागत में अधिक पैदावार के लिए कारोबारी उर्वरकों, दवाओं और घातक रंगों तक का उपयोग करने से गुरेज नहीं करते।
ऐसी सब्जियां खाकर कम उम्र में भी लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग बाहर वैजिटेबल गार्डेन को बढ़ावा दे रहे हैं। शहर के शास्त्रीनगर, साकेत, सम्राट पैलेस, मंगल पांडे नगर, गंगानगर, शताब्दी नगर, पल्लवपुरम समेत कई मुहल्लों में यह दृश्य देखने को मिलते हैं। जहां लोग अपने वैजिटेबल गार्डन में मिर्च, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, गोभी, लौकी, सेम, धनिया, मटर, सोया मेथी, लहसुन आदि सब्जियां पैदा कर रहे हैं। ये पूरी तरह से आर्गेनिक हैं। शास्त्रीनगर निवासी रमेश त्यागी ने भी घर के बाहर हरी सब्जी पैदा की हुई है।
उन्होंने बताया कि वे एक वर्ष से इसे अपना रहे हैं। इससे रसायन के प्रयोग से तैयार सब्जी खाने से छुटकारा मिल गया। कई लोग इसे देखने भी आते और अपने यहां भी गार्डेन तैयार कर रहे हैं। इस ओर महिलाओं का भी रूझान बढ़ रहा है। घर की महिलाएं दिन में अपना समय घर के बाहर लगे अपने वैजिटेबल गार्डन में बिताती हैं। इससे पूरे परिवार के खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में सब्जी हो जाती है, जो पूरी तरह से आर्गेनिक है। कभी.कभी तो आसपास के लोगों को भी देना पड़ता हैं। घर के कामों से फुर्सत मिलने के बाद पौधों की देखभाल के लिए समय देते हैं।