मासूम बच्चों में नफरत भरने का कर रहे काम
वेबिनार में प्रोफेसर संगीता ने कहा कि इस पूरे प्रकरण के दौरान तीन चीजें काफी परेशान करने वाली थीं जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पहला, पीएफआई जैसे संगठन अभी भी राजनीतिक लाभ के लिए निर्दोष मुसलमानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके माहौल को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे, पीएफआई कार्यकर्ताओं ने स्कूल जाने वाले मासूम बच्चों को भी अपने नफरत के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नहीं बख्शा। अंतिम लेकिन कम नहीं, पीएफआई के जघन्य कृत्य से पता चलता है कि पीएफआई कैडरों में विशेष रूप से केरल राज्य में दण्डमुक्ति,निडरता की भावना है जो राज्य में पीएफआई कैडरों की हिंसा और दोषसिद्धि के अभाव के इतिहास से और अधिक प्रमाणित है।
केरल को सीरिया में बदलने के लिए काम कर रहा पीएफआई
वेबिनार में इंदौर से शामिल डा0कमलेश मिश्रा ने कहा कि जंगल में हथियार प्रशिक्षण शिविर का पता लगाना, एक प्रोफेसर के हाथ काटना, ISIS और AQIS में शामिल होने वाले PFI कैडर, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की हत्या, बदला लेने की हत्या आदि ने बार-बार साबित किया है कि PFI कैडर केरल को एक और सीरिया में बदलने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किशोर बच्चों पर बाबरी का बैज लगाना एक महत्वपूर्ण क्षण है। भावी पीढ़ी विधायकों, प्रशासकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से पीएफआई पर उनकी निष्क्रियता के बारे में पूछेगी। हालांकि अपराधियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इतिहास ने हमें दिखाया है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में खामियों का फायदा उठाते हुए, पीएफआई कार्यकर्ताओं ने हमेशा पैसे, ताकत और हेरफेर का उपयोग करके खुद को बचाया है। इससे पता चलता है कि पीएफआई पर देशव्यापी प्रतिबंध ही केवल स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है।