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Webinar on Terrorism : केरल को सीरिया बनाने की कोशिश में पीएफआई, विशेषज्ञों ने उग्रवाद को लेकर कही ये बात

locationमेरठPublished: Jan 20, 2022 12:06:19 pm

Submitted by:

Kamta Tripathi

Webinar on Terrorism सांप्रदायिक हिंसा,उग्रवाद और आतंकवाद को लेकर देश में अलग तरह का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी को लेकर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें देश विदेश से जाने माने सुरक्षा विशेषज्ञों के अलावा राजनीति पर पकड़ रखने वाले विद्धानों ने भाग लिया। जिसमें केरल में पीएफआई के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की गई।

Webinar on Terrorism : केरल को सीरिया बनाने की कोशिश में पीएफआई जैसा संगठन

Webinar on Terrorism : केरल को सीरिया बनाने की कोशिश में पीएफआई जैसा संगठन

Webinar on Terrorism कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने वर्षगांठ को “उस दिन के रूप में परिभाषित किया है जिस दिन पिछले वर्ष में एक महत्वपूर्ण घटना हुई थी”। जन्म वर्षगाँठ, मृत्यु वर्षगाँठ, विवाह वर्षगाँठ आदि मनाया जाता है ताकि एक महत्वपूर्ण घटना की यादें हमारे दिमाग में जीवित रहे। हालाँकि,यदि स्मृतियों में पूरे राष्ट्र के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता है, पूरे समुदाय को पिछड़ा रखने की क्षमता है और साथ ही जनता के बीच भय पैदा करने की क्षमता है। यह कहना था राजनीतिक पर बारीकी से नजर रखने वाले राजेश भारती का। देश में आतंकवादी संगठन और उनके द्वारा बनाए जा रहे माहौल को लेकर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें देश और विदेश के दर्जनों विद्धानों ने अपने विचार रखे। वेबिनार में राजेश भारती ने कहा कि हिंसक अतीत वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे कट्टरपंथी संगठन हमेशा विवेक, सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे आदि जैसे शब्दों से दूर रहे हैं। बल्कि,यह सांप्रदायिक हिंसा, उग्रवाद, आतंकवाद आदि शब्दों के साथ सहानुभूतिपूर्वक अपनी पहचान रखता है।
उन्होंने कहा कि पिछले माह पीएफआई ने पूरे देश को चौंका दिया जब इसकी युवा शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के नेताओं ने गत 6 दिसंबर, 2021 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की वर्षगांठ को ‘स्मृति’ करने के अभियान के हिस्से के रूप में केरल के सेंट जॉर्ज स्कूल, कोट्टांगल, चुंगप्पारा, पठानमथिट्टा जिले के कुछ स्कूल जाने वाले छात्रों (ज्यादातर गैर-मुस्लिम) की वर्दी पर ‘मैं बाबरी’ संदेश के साथ स्टिकर चिपका दिया।
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मासूम बच्चों में नफरत भरने का कर रहे काम
वेबिनार में प्रोफेसर संगीता ने कहा कि इस पूरे प्रकरण के दौरान तीन चीजें काफी परेशान करने वाली थीं जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पहला, पीएफआई जैसे संगठन अभी भी राजनीतिक लाभ के लिए निर्दोष मुसलमानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके माहौल को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे, पीएफआई कार्यकर्ताओं ने स्कूल जाने वाले मासूम बच्चों को भी अपने नफरत के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नहीं बख्शा। अंतिम लेकिन कम नहीं, पीएफआई के जघन्य कृत्य से पता चलता है कि पीएफआई कैडरों में विशेष रूप से केरल राज्य में दण्डमुक्ति,निडरता की भावना है जो राज्य में पीएफआई कैडरों की हिंसा और दोषसिद्धि के अभाव के इतिहास से और अधिक प्रमाणित है।
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केरल को सीरिया में बदलने के लिए काम कर रहा पीएफआई
वेबिनार में इंदौर से शामिल डा0कमलेश मिश्रा ने कहा कि जंगल में हथियार प्रशिक्षण शिविर का पता लगाना, एक प्रोफेसर के हाथ काटना, ISIS और AQIS में शामिल होने वाले PFI कैडर, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की हत्या, बदला लेने की हत्या आदि ने बार-बार साबित किया है कि PFI कैडर केरल को एक और सीरिया में बदलने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किशोर बच्चों पर बाबरी का बैज लगाना एक महत्वपूर्ण क्षण है। भावी पीढ़ी विधायकों, प्रशासकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से पीएफआई पर उनकी निष्क्रियता के बारे में पूछेगी। हालांकि अपराधियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इतिहास ने हमें दिखाया है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में खामियों का फायदा उठाते हुए, पीएफआई कार्यकर्ताओं ने हमेशा पैसे, ताकत और हेरफेर का उपयोग करके खुद को बचाया है। इससे पता चलता है कि पीएफआई पर देशव्यापी प्रतिबंध ही केवल स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है।
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