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छोटा हरिद्वार में बने ढाबे से चलता है गोतखोरों का पूरा खौफनाक खेल !

locationमेरठPublished: Jul 17, 2018 02:53:28 pm

Submitted by:

Iftekhar

गोताखोर अलग-अलग गिरोह में बंटकर छोटा हरिद्वार के घाटों पर चलाते हैं अपना राज

Chhota Haridwar

छोटा हरिद्वार में बने ढाबे से चलता है गोटाखोरों का पूरा खौफनाक खेल

मेरठ. मुरादनगर के जिस गंगनहर को कुछ किथत बाबाओं ने छोटा हरिद्वार के नाम से स्थापित कर दिया है, वहां गोताखोरों ने अपनी पकड़ इस कद्र मजबूत कर ली है, कि पुलिस प्रशासन भी उनके आगे बेबस नजर आ रहा है। पत्रिका की टीम ने जब मुरादनगर की नहर पर जाकर इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी। दरअसल, मुरादनगर की इस नहर के घाट भले ही आपको शांत दिखे, लेकिन इस नहर के किनारे बने घाट पर गोताखोरों के गुरोहों का हर पल कब्जा रहता है। ये लोग यहां आठ से दस लोगों के ग्रुप में रहते हैं। ये लोग यहां घाटों को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर उस पर कब्जा कर लेते हैं। हर हिस्से पर गोताखोरों के एक ग्रुप की नजर होती है। गोताखोर ग्रुप के सदस्य दूर से अपने-अपने क्षेत्र के घाट पर नजर रखते हैं। जैसे ही उनका शिकार आता है। वे तुरंत एक्टिव हो जाते हैं। शिकार से मतलब सोने के आभूषण पहने किसी महिला या पुरूष है। ऐसे श्रद्धालु इनके चंगुल से बच नहीं पाते हैं। ये हम नहीं कह रहे। ये कहना है, यहा पर बने ढाबे पर काम करने वाले एक युवक का।

यहां ढाबे पर काम करने वाले युवक ने इन गोताखोरों की सारी हरकत एक-एकर बयान कर दी। युवक का कहना है कि वह करीब 15 साल से यहां नौकरी कर रहा है। लेकिन, जितनी अराजकता चार-पांच साल में बढी है, वैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला था। उसका कहना है कि कुछ गोताखोर यहां मेरठ से भी आते हैं और वे गंगनगर में नहा रही महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और गंदी हरकत तक करते हैं। अगर कोई विरोध करता है तो उसके साथ मारपीट करते हैं।

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बहती लाश पर रखते हैं गाड़ी से नजर
युवक ने बताया कि गंगनहर से लाश निकलाने के लिए ये गोताखोर अपने साथ गाड़ी भी रखते हैं। जो लाश तेजी से बहकर आगे चली जाती है उस पर ये लोगअपनी गाड़ी से नहर के किनारे-किनारे देखते जाते हैं। इसके बाद सूनसान जगह पर नहर में कूदकर लाश को नहर के काफी नीचे फंदे से बांध देते हैं। जबतक लाश को लेने वाला उसका वारिस आ जाता है तो उसके बाद ये लोग सौदेबाजी शुरू करते हैं।


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नहर के पास बने ढाबे से संचालित पूरा खेल
ढाबे पर काम करने वाले इस युवक ने पत्रिका को बताया कि गंग नहर के किनारे बने ढाबे से ही गोताखोरों का पूरा खेल संचालित होता है। गोताखोर गिरोह इसी ढाबे पर आकर अपने कपड़े बदलता है और इसी ढाबे के बाहर वे लोग सौदेबाजी करते हैं। युवक के अनुसार ढाबे के पीछे बने आरामघर पर इन गोताखोर गिरोह का कब्जा रहता है, क्योंकि ये लोग वहीं पर आराम करते हैं।


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शाम छह बजे के बाद रूकना खतरे से खाली नहीं
युवक ने पत्रिका से बताया कि इस नहर के घाट पर शाम छह बजे के बाद नहाना या आना खतरे से खाली नहीं है। पुलिस की व्यवस्था न होने के कारण घाट पर इन्हीं गोताखोरों का कब्जा रहता है। ये लोग यहां पर आकर शराब पीने के अलावा भी कई तरह के नशा करते हैं। यानी छह बजे के बाद पूरा घाट इनके कब्जे में होता है।

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