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शूटिंग स्पर्धाओं में बड़े-बड़े निशानेबाजों को पछाड़ने वाले मेरठ के सौरभ चौधरी ने ब्यूनस आर्यस में खेले गए यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 में बेहतरीन प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उनके देश लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने नई दिल्ली में सम्मानित किया। जहां पीएम ने खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शूटिंग स्पर्धाओं में बड़े-बड़े निशानेबाजों को पछाड़ने वाले मेरठ के सौरभ चौधरी ने ब्यूनस आर्यस में खेले गए यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 में बेहतरीन प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उनके देश लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने नई दिल्ली में सम्मानित किया। जहां पीएम ने खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आपको बता दें कि यूथ ओलंपिक में मेरठ के कलीना निवासी शूटर सौरभ चौधरी ने तीन गोल्ड जीते हैं। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित यूथ ओलंपिक गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने रिकार्ड के साथ गोल्ड झटका था।
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सौरभ की मेहनत, लगन और उपल्बिध को देखते हुए पीएम मोदी भी सौरभी की तारीफ किए बगैर नहीं रह पाए। उन्होंने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया कि सौरभ चौधरी एक सितारा है! उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्तौल शूटिंग कार्यक्रम में स्वर्ण पदक जीता। मेरठ के रहने वाले सौरभ ने 2015 में शूटिंग शुरू की और 16 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला एशियाई खेलों गोल्ड जीता। यह जानकर खुशी हुई कि वह खेती का आनंद लेते हैं।
सौरभ की मेहनत, लगन और उपल्बिध को देखते हुए पीएम मोदी भी सौरभी की तारीफ किए बगैर नहीं रह पाए। उन्होंने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया कि सौरभ चौधरी एक सितारा है! उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्तौल शूटिंग कार्यक्रम में स्वर्ण पदक जीता। मेरठ के रहने वाले सौरभ ने 2015 में शूटिंग शुरू की और 16 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला एशियाई खेलों गोल्ड जीता। यह जानकर खुशी हुई कि वह खेती का आनंद लेते हैं।
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किसान का बेटा होते हुए इतनी बड़ी उपल्बिध हासिल करने के लिए सौरभ को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शुरूआत में सौरभ ने बागपत से ही शूटिंग एकेडमी से तैयारी की। बाद में उन्हें विदेशी कोच रखने की सालह दी गई। लेकिन सौरभ ने नेशनल कैंप के बाहर किसी अन्य कोच के साथ तैयारी करना उचित नहीं समझा। फिलहाल वो अपने कोच अमित श्योराण से और बारिकी सीख रहे हैं। सौरभ का कहना है कि जिस कोच के साथ तैयारियां कर एशियाई खेलों का स्वर्ण जीत सकते हैं तो आगे भी वही कोच उन्हें अन्य खेलों का पदक भी दिला सकता है। सौरभ का मानना है कि यूथ ओलंपिक से ज्यादा एशियाई खेलों का गोल्ड जीतना ज्यादा कठिन था।
किसान का बेटा होते हुए इतनी बड़ी उपल्बिध हासिल करने के लिए सौरभ को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शुरूआत में सौरभ ने बागपत से ही शूटिंग एकेडमी से तैयारी की। बाद में उन्हें विदेशी कोच रखने की सालह दी गई। लेकिन सौरभ ने नेशनल कैंप के बाहर किसी अन्य कोच के साथ तैयारी करना उचित नहीं समझा। फिलहाल वो अपने कोच अमित श्योराण से और बारिकी सीख रहे हैं। सौरभ का कहना है कि जिस कोच के साथ तैयारियां कर एशियाई खेलों का स्वर्ण जीत सकते हैं तो आगे भी वही कोच उन्हें अन्य खेलों का पदक भी दिला सकता है। सौरभ का मानना है कि यूथ ओलंपिक से ज्यादा एशियाई खेलों का गोल्ड जीतना ज्यादा कठिन था।
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जहां सौरभ एक के बाद रिकॉर्ड बना रहे हैं, वहीं उनके लगातार शानदार प्रदर्शन को देखते हुए सौरभ की पिस्टल स्विट्जरलैंड के ओलंपिक म्यूजियम में रखने का फैसला किया गया। सौरभ के मुताबिक लुजान म्यूजियम में उनकी पिस्टल का प्रतिरूप रखा जाएगा। वह स्विटजरलैंड की मोरनी कंपनी की पिस्टल इस्तेमाल करते हैं।
आईओसी ने उनकी इस्तेमाल की जाने वाली मोरनी पिस्टल का सीरियल नंबर ले लिया है, जिसे वह कंपनी से निकलवाकर म्यूजियम में रखेंगे। यह पिस्टल उन्हीं के नाम से म्यूजियम में रखी जाएगी। इस फैसले से सौरभ के अलावा उनके माता-पिता भी काफी खुश हैं।
जहां सौरभ एक के बाद रिकॉर्ड बना रहे हैं, वहीं उनके लगातार शानदार प्रदर्शन को देखते हुए सौरभ की पिस्टल स्विट्जरलैंड के ओलंपिक म्यूजियम में रखने का फैसला किया गया। सौरभ के मुताबिक लुजान म्यूजियम में उनकी पिस्टल का प्रतिरूप रखा जाएगा। वह स्विटजरलैंड की मोरनी कंपनी की पिस्टल इस्तेमाल करते हैं।
आईओसी ने उनकी इस्तेमाल की जाने वाली मोरनी पिस्टल का सीरियल नंबर ले लिया है, जिसे वह कंपनी से निकलवाकर म्यूजियम में रखेंगे। यह पिस्टल उन्हीं के नाम से म्यूजियम में रखी जाएगी। इस फैसले से सौरभ के अलावा उनके माता-पिता भी काफी खुश हैं।