कभी धागा कलाई में बांधकर जलेबी से करवाती थी मुंह मीठा दरअसल, मेरठ निवासी इन भाई-बहन ने अपनी पहचान उजागर करने से मना किया है। लेकिन, बहन श्वेता का कहना है कि उन्होंने बहुत गरीबी के दिन देखे हैं। माता-पिता ने मुफलिसी के दिनों में दोनों को किसी तरह से पढ़ाया। आज वे जो कुछ भी हैं अपनी काबिलियत के दम पर हैं। श्वेता कहती हैं कि बचपन में वो अपने भाई को एक रुपये के धागे वाली राखी बांधकर जलेबी से मुंह मीठा करवाती थीं। उनके घर पर सेवई बनाने के लिए आधा किलो दूध आता था। आज उनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो रक्षाबंधन के दिन हर साल गरीब बस्तियों में सखी सेवई और दूध बांटकर आते हैं, ताकि कोई गरीब इस त्यौहार पर बिना सेवई के न रह सके। इतना ही नहीं वे मिठाई के छोटे-छोटे डिब्बे भी गरीब बस्तियों में बांटकर आते हैं।
यह भी पढ़ें- Raksha Bandhan 2021 इस बार रक्षा बंधन पर 474 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग एमबीए के बाद लगी नामी एमएनसी में नौकरी श्वेता कहती हैं कि घर पर ट्यूशन पढ़ाकर उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की। उसके बाद नामी एमएनसी में सलेक्शन हुआ तो जिंदगी चल पड़ी। अपनी नौकरी लगने के बाद भाई को भी एमबीए करवाया। आज भाई पवन भी देश की प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी कर रहा है। जिंदगी तो चल पड़ी, लेकिन दोनों भाई-बहनों को इस बात का मलाल है कि माता-पिता आज इस दुनिया में नहीं हैं। दोनों की शादी हो चुकी है और बहुत खुश है।
इस बार सोने और चांदी की राखियों की डिमांड बढ़ी मेरठ एशिया का बड़ा सोने-चांदी का बाजार है। जहां पर प्रतिदिन करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। इस बार मेरठ के इस बाजार में सोने और चांदी की राखियों की बेहद डिमांड है। एक तरफ जहां चांदी में सजी रूद्राक्ष राखी बहनें खरीद रही हैं तो वहीं दूसरी ओर सोने के ब्रासलेट की राखी भी खूब डिमांड में हैं। इसी के साथ राशि के स्टोन की राखियां भी हैं। जिसे भाई पूरे साल अपने कलाई में बांध सकते हैं। सर्राफ की दुकानों पर ऐसी राखी की डिमांड काफी है।
एक हजार से लेकर ऑन डिमांड पॉकेट तक राखियां ज्वैलर्स की दुकान में एक हजार की चांदी की राखी से लेकर ऑन डिमांड पॉकेट तक की राखियां हैं। कुछ ज्वैलर्स के यहां दूसरे जिलों और राज्यों से भी ऐसी राखियों की डिमांड खूब आई है, जिनकी मांग पूरा करने में उनको दिन-रात काम करना पड़ रहा है।