पुरुषार्थ चिंतामणि धर्म शास्त्र के अनुसार यदि भद्रा पूर्णिमा के दोपहर बाद में भी व्याप्त है जो 11 अगस्त गुरुवार को है तथा अगले दिन पूर्णिमा 3 प्रहरया उससे अधिक अवधि तक हो तो रक्षाबंधन दूसरे दिन मनाया जाना चाहिए। इस बार गुरुवार के अगले दिन 12 अगस्त शुक्रवार को तीसरे प्रहर तक पूर्णिमा नहीं है। बल्कि प्रथम प्रहर के प्रारंभ में ही सुबह 7ः06 बजे ही पूर्णिमा समाप्त होने के कारण 11 अगस्त को रक्षाबंधन होगा। भद्रा के पश्चात तथा उतरते प्रदोष काल में रक्षाबंधन करना चाहिए। इस प्रकार रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त 2022 को प्रदोष काल में भद्रा के पश्चात अर्थात रात्रि 8ः52 बजे से रात्रि 9ः13 तक किया जाना उचित रहेगा।
भद्रा का पूंछ काल शुभ
जहाँ तक भद्रा का प्रश्न है पहले उसकी स्थिति को समझ लिया जाए। जिस प्रकार सर्प का मुख ही जहरीला, खतरनाक होता है पूंछ नहीं उसी प्रकार भद्रा का जहरीला मुख गुरुवार को शाम को 6ः19 से 8ः00 बजे तक रहेगा जो बिलकुल त्याज्य काल है। भद्रा पूंछ का शुभ काल शाम 5ः17 से 6ः18 बजे तक है जिसमे रक्षा सूत्र बांधना शुभ रहेगा। 11 अगस्त गुरूवार को प्रातः 10ः39 बजे से श्रावण पूर्णिमा प्रारंभ होगी उसी समय भद्रा भी प्रारंभ होगी जो रात्रि 8ः50 तक रहेगी। किन्तु चन्द्रमा मकर राशि में होने के कारण भद्रा न तो स्वर्गलोक में होगी न पृथ्वीलोक में होगी। बल्कि पाताल लोक में ही समायी होगी। इस प्रकार रक्षाबंधन पर्व पर भद्राकाल तो होगा किन्तु पृथ्वी पर भद्रा का कोई कुप्रभावी नहीं होगा। जिस प्रकार ग्रहण पृथ्वी पर जिस भाग में दिखाई देता है। केवल वहीँ प्रभावी होता है। ऐसे ही पृथ्वी के देश के या प्रान्त के किसी अदृश्य भाग में न तो कोई सूतक लगता है न ही ग्रहण का दुष्प्रभाव होता है। इसी प्रकार भद्रा जब पाताल लोक में प्रभावी होती है तो पृथ्वी पर निष्प्रभावी होती है। इस तथ्य को ठीक से समझा जाए कि रक्षाबंधन वाले दिन भद्रा का साया पाताल लोक में होगा न कि पृथ्वीलोक में। इसलिए11 अगस्त दिन गुरुवार को शुभ योगों में भी बहने रक्षाबंधन बिना किसी संशय के मना सकती हैं। अति आवश्यकता में ही 12 अगस्त शुक्रवार की प्रातः सुबह 7ः06 तक मनाई जा सकती है। सूर्योदिनी पूर्णिमा का रक्षाबंधन का दिन व्यापनी श्रावण पूर्णिमा में राखी का त्यौहार वास्तव में 11 अगस्त का ही है।