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भारत और पाकिस्तान आम की जिस प्रजाति पर जता रहे थे हक, उस रटौल को मिला जिओ टैग

locationमेरठPublished: May 12, 2022 02:24:01 pm

Submitted by:

Kamta Tripathi

Geo tag on Rataul Mango आम की एक प्रजाति है रटौल जो कि बागपत जिले में पैदा होती है। इस प्रजाति पर भारत और पाकिस्तान शुरू से ही अपना हक जताते रहे हैं। लेकिन अंत में इस पर भारत का कब्जा हुआ और अब बागपत के रटौल आम की प्रजाति केा जीओ टैग मिला है। अब ये आम की प्रजाति सात समुंदर पार अपना स्वाद महका रही है।

भारत और पाकिस्तान आम की जिस प्रजाति पर जता रहे थे हक, उस रटौल को मिला जिओ टैग

भारत और पाकिस्तान आम की जिस प्रजाति पर जता रहे थे हक, उस रटौल को मिला जिओ टैग

Geo tag on Rataul Mango रटौल आम और बागपत दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बागपत का नाम आते ही रटौल आम याद आता है और रटौल आम दिखते ही बागपत जिला जेहन में आता है। बता दें कि बागपत के इस बड़े गांव को आम के बागों के कारण आज विश्च में पहचान मिली है। रटौल आम का स्वाद और सुगंध देश ही नहीं बल्कि सात समुंदर पार विदेश तक हैं। विदेश में बागपत के रटौल आम की बहुत मांग है। अंग्रेज अमेरिकन इस रटौल आम के काफी मुरीद हैं। जियोग्राफिकल इंडिकेशंस यानी जीआइ टैग इस आम को मिला तो इसके नखरे और अधिक बढ़ गए हैं। बता दें कि रटौल आम की इस प्रजाति पर पाकिस्तान भी शुरू से दावेदारी करता आ रहा है। लेकिन जब आम की प्रजाति रटौल का पेटेंट हुआ और इसकी जीआई टैग मिली तो यह बात सबसे सामने आ गई कि आम की इस प्रजाति का जन्म बागपत के रटौल में ही हुआ है। इस बार आम के मौसम में रटौल आम जीआइ टैग के साथ पहली बार बाजार में दस्तक देगा। अमेरिका,के अलावा खाड़ी देशों में रटौल की एडवांस बुकिंग हो चुकी हैं।

रटौल का आम बागपत के रटौल गांव के अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश के और भी जिलों में पैदा होता है। बागपत में इस प्रजाति के आम के करीब 85 हेक्टेयर में बाग हैं। बता दें कि रटौल आम उस समय चर्चा में आया जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रटौल आम गिफ्ट में दिया था। इसके बाद रटौल गांव के किसान केंद्रीय परिवहन मंत्री चौधरी चांदराम के नेतृत्व में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिले और उन्हें असली रटौल आम दिया।
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प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बताया कि असली रटौल आम यही है। इसके बाद इंदिरा गांधी ने पाक राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक को रटौल आम गिफ्ट में भिजवाए। उसके बाद से ही इस आम को पेटेंट की जिद्दोजहद चल रही थी। रटौल आम का पेटेंट अक्टूबर-2021 को वाराणसी में हुआ। पेटेंट के बाद ही इसको जीआइ टैग मिला। बता दें कि जीआइ टैग मिलने के बाद किसी भी प्रोडक्ट की अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्व और कीमत बढ़ जाती है। इसी के साथ उसके निर्यात के उत्पाद की विशिष्टता बढ़ती है।
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