scriptजब रालोद ने पाया अपना खोया जनाधार तो मुखिया अजित सिंह हार गए कोरोना से जंग | RLD found lost support base, chief Ajit Singh lost the battle of life | Patrika News

जब रालोद ने पाया अपना खोया जनाधार तो मुखिया अजित सिंह हार गए कोरोना से जंग

locationमेरठPublished: May 06, 2021 11:43:12 am

Submitted by:

shivmani tyagi

वेस्ट यूपी के कई जिलों में अध्यक्ष पद की दावेदार बनी रालोद 2019 में अजित और बेटे जयंत की खिसक गई थी राजनीतिक जमीन अब जब आया समय तो चल बसे मुखिया

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ajit singh

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मेरठ meerut news रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह Ajit Singh भले ही आज कोरोना Corona virus से जंग हार गए हों लेकिन उनकी पार्टी ने पिछले दो दशकों से खोया राजनीतिक वजूद इस पंचायत चुनाव में पा लिया है। खोई राजनीतिक जमीन को तलाश रहे अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत के लिए ये चुनाव किसी संजीवनी से कम नहीं रहा। आज अजित सिंह इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं लेकिन उनकी पार्टी के प्रति किसानों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वोटरों ने फिर से विश्वास जताना शुरू कर दिया है।
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रालोद के लिए जब पंचायत चुनाव का यह परिणाम आया उस समय पार्टी सुप्रीमो अस्पताल में कोरोना की जंग लड़ रहे थे। बेटे जयंत ने जब उनको इसकी सूचना दी कि पंचायत चुनाव में रालोद पश्चिम यूपी में खास बन कर सामने आई है तो छोटे चौधरी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य की 70 से ज्यादा सीटें जीतकर रालोद मजबूती से उबरी है। मेरठ Meerut बिजनौर, शामली, बुलंदशहर, बागपत आदि जिलों में तो रालोद अध्यक्ष के पद पर भी दावा पेश करने की स्थिति में है। किसानों की पार्टी कहलाने वाली रालोद को इस पंचायत चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी उम्मीदें थी। दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव से ही रालोद राजनैतिक हाशिए पर आ चुका था। खुद रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह चुनाव हार गए तो पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी चारों खाने चित हो गए थे। ऐसे में इस चुनाव को लेकर रालोद खोई जमीन तलाश करने की कवायद में था।
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मुजफ्फरनगर दंगों के बाद रालोद का जाट-मुस्लिम समीकरण तितर-बितर हो चुका था लेकिन किसान आंदोलन ने इन दोनों बिरादरी को एक होने का मौका दिया जिसका परिणाम हुआ कि जिला पंचायत सीटों पर रालोद ने उम्दा प्रदर्शन किया। ऐसे जिलों में भी अच्छी खासी सीटें रालोद को मिली जहां उम्मीद कम थी।
रालोद को मिली यह संजीवनी निश्चित रूप से अगले साल यूपी के विधानसभा चुनावों में उसके लिए टॉनिक साबित होगी। पार्टी थिंक टैंक इस बात को बखूबी समझ भी रहा है और पंचायत चुनाव में मिली इस सफलता को पूरी तरह से भुनाने की तैयारी में है। यूपी के संगठन मंत्री डॉक्टर राजकुमार सांगवान की माने तो रालोद ने जिस तरह से किसानों और गांवों के बीच जाकर उनके दर्द को समझा यह जीत उसी का परिणाम है।
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