सावन शिवरात्रि नौ अगस्त की है। इसके एक दिन पहले बुधवार को कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिवालयों तक इस तरह बढ़े।
काफी संख्या में शिवभक्त शिवरात्रि से एक दिन पहले अपने वाहनों से हरिद्वार गए आैर वहां से जलाभिषेक के लिए गंगाजल लेकर लौटे।
कांवड़ यात्रा में डाक कांवड़ का अपना महत्व है। बुधवार को डाक कांवडियों की भी संख्या काफी रही।
इस साल कांवड़ यात्रा में तिरंगे को लेकर भी युवाआें में काफी क्रेज रहा आैर कांवड़ के साथ झंडा भी उनके साथ रहा।
हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़िए कांवड़ आैर तिरंगे के साथ लौटे। सावन शिवरात्रि से एक दिन पहले कांवड़ शिवालयों की आेर बढ़ते हुए।
कर्इ शिवभक्त एेसे थे, जो अपने साथ परिवार के छोटे सदस्यों को भी अपने साथ ले गए थे। छोटे शिवभक्त इस तरह कांवड़ के साथ मेरठ पहुंचे।
सावन शिवरात्रि से एक दिन पहले डाक कांवड़ियों का समय होता है। इस बार काफी संख्या में डाक कांवड़िए भी जल लाए।