इधर स्कूल कालेज भी खुलने लगे थे। जब स्कूल खुले तो उसने छोटे बच्चों को कोरोना ने स्लीपर सेल की तरह इस्तेमाल किया। बच्चों के जरिये कोरोना ने मेरठ ही नहीं पूरे देश में संक्रमण की मजबूत चेन तैयार कर दी। एक संक्रमित बच्चे ने घर जाकर अपने पूरे परिवार को संक्रमित कर दिया। जो कि अब लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। मेरठ के कोविड—19 वार्ड के नोडल अधिकारी रहे डा0वेद प्रकाश कहते हैं कि अब भी वक्त है कि अभिभावक बच्चों को लेकर सतर्क नहीं हुए और उन्हें बाहर निकलने दिया तो इसके परिणाम देश में भयावह हो सकते हैं।
कोरोना के सुपर स्प्रेडर बने बच्चे:— बालरोग विशेषज्ञ डा सुधांशु गर्ग ने बताया कि उनके पास पांच से 14 वर्ष तक के संक्रमित बच्चे काफी संख्या में आ रहे हैं। कुछ बच्चे तो डेढ़ वर्ष तक के भी आए जो कोरोना संक्रमित हैं। हालांकि बच्चों में गंभीरता के मामले मामूली हैं। सिर्फ कुछ में सीवियारिटी देखी गई। मगर जो बच्चे संक्रमित हो रहे हैं भले ही उनमें से अधिकांश को ज्यादा परेशानी नहीं हो, लेकिन वह कोरोना के सुपर स्प्रेडर्स का काम कर रहे हैं। एक बच्चा अपने घर में माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी समेत घर के अन्य सारे सदस्यों को संक्रमित कर रहा है। इसे रोकना होगा। डा. गर्ग ने बताया कि कोरोना संक्रमित ज्यादातर बच्चों में डायरिया जैसे लक्षण हैं। कुछ में नाक से पानी आना, जुकाम, हल्का बुखार इत्यादि भी है।