क्रिकेटरों पर स्टार कल्चर हावी होता जा रहा है। कप्तान तो कोच से लेकर कमेंटेटर तक तय कर रहा है। इस पर सहवाग ने कहा कि कप्तान का थोड़ा बहुत प्रभाव हमेशा से ऐसे ही था। कोच के चयन में कप्तान की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण होती है। अभी अगर मेरे कोच बनने वाली बात को लें तो कप्तान विराट कोहली ने मुझसे संपर्क किया। मैंने आवेदन किया। मैं कोच नहीं बना। ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि हर चीज में कप्तान की कैसे चल सकती है।
भारतीय टीम के कोच पद के लिए कहा जा रहा था कि आपने औपचारिक तरीके से आवेदन नहीं किया। सिर्फ कुछ लाइनों में अपना बायोडेटा भेज दिया। इस पर सहवाग का कहना था कि मैंने सभी औपचारिकताएं की थी, एक लाइन वाली बात मीडिया के दिमाग की उपज थी। वीरेंद्र सहवाग ने क्रिकेट प्रशासक के तौर पर भी फिलहाल अपनी भूमिका से इन्कार किया।
सहवाग ने कहा कि तमाम क्रिकेटर्स की जीवनी आ रही है। मैं भी इस बारे में सोच रहा हूं। अच्छे लेखक की तलाश है। हो सकता है कि जल्द ही इस बारे में आपको पता चले।
बायोपिक फिल्म पर सहवाग ने कहा कि अभी न तो इस बारे में उनसे कोई संपर्क किया गया है और न ही उनका कोई इरादा है। हां, यह जरूरी है कि भारत में तमाम ऐसे खिलाड़ी हैं क्रिकेट के अलावा भी जिनका संघर्ष लोगों के सामने आना चाहिए। मेरा मानना है कि रेसलर सुशील कुमार की बायोपिक आनी चाहिए। उनके संघर्ष को मैंने करीब से देखा है।
सहवाग ने कहा कि यह सरकार का फैसला है कि भारत-पाक के बीच क्रिकेट सीरिज होनी चाहिए कि नहीं। निजी तौर पर उनका मानना है कि पाकिस्तान से भारत को क्रिकेट खेलना चाहिए।
मुल्तान के सुल्तान ने कहा कि दुनिया के किसी तेज गेंदबाज को खेलने से पहले मैंने ज्यादा नहीं सोचा, लेकिन मुरलीधरन को खेलने में थोड़ी मुश्किल हुई। उनके लिए अलग से रणनीति बनानी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि तेंदुलकर के साथ ओपन करने जैसा आनंद किसी के साथ नहीं था। उनके बाद गिलक्रिस्ट का नंबर है।