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कोरोना काल में फेफड़े मजबूत करने को शंख बजाना सीख रहा मुस्लिम परिवार

locationमेरठPublished: May 22, 2021 01:37:44 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

कोरोना ( Corona virus ) काल में परिवार के सभी सदस्य कर रहे शंख बजाने का अभ्यास, शंख बजाने से मजबूत होते हैं फेफडे, बढ़ता है ऑक्सीजन ( oxygen ) प्रतिशत

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shabana

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ, केपी त्रिपाठी. कोरोना संक्रमण ( COVID-19 ) के खतरे के बीच मेरठ का एक मुस्लिम परिवार फेफड़ों को मजबूत करने के लिए शंख बजाना सीख रहा है। मुस्लिम परिवार की इस पहल ने साफ कर दिया है कि अपने स्वास्थ्य के लिए अब लोग जागरूक हाे रहे हैं और ऐसा करने में वह धर्म और मजहब से ऊपर उठने भी परहेज नहीं कर रहे।
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मेरठ निवासी शबाना के परिवार के सदस्य सुबह-शाम अपने घर में शंख बजाना सीख रहे हैं। शबाना के घर में उनकी मां जीनत खातून, पिता शहजाद खान और दोनों भाई भी अपने फेफड़ों और श्वसननली को मजबूत करने के लिए शंख बजाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। शबाना का कहना है कि जबसे उन्होंने टीवी और अन्य जगहों पर शंख बजाने के फायदे के बारे में जाना उसके बाद से उन्होंने अपने पिता से एक शंख लाने को कहा। बाजार से शंख लाने के बाद वे प्रतिदिन सुबह शाम और उसको बजाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार तो उसके भाई ने जोर से बजाया तो आसपास के लोग निकल आए कि इलाके में शंख कहा से बज रहा है लेकिन जब उन्होंने आसपास के लोगों को शंख बजाने के स्वास्थ्य से जुड़े फायदे के बारे में बताया तब से वे कुछ नहीं कहते। शबाना का कहना है कि उनके आसपास के कुछ परिवार भी शंख लेकर आए हैं।
धार्मिक पहलू छोड़िए इसके वैज्ञानिक महत्व को समझिए

हिंदू ही नहीं अन्य संप्रदाय के लोग भी घरों में शंख में मुंह से हवा भरकर उसको बजाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। दरअसल शंख सिर्फ धार्मिक पहलू नहीं, इसके वैज्ञानिक महत्व भी हैं। जो इस कोरोना संक्रमण काल में चेस्ट के व्यायाम के लिए मुफीद हैं। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। योग चिकित्सा में भी शंख को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
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योगाचार्य शताक्षी ने बताया कि इन दिनों घरों में शंख बजाने का प्रचलन तेजी से बढा है। कोरोना संक्रमण काल में लोग पूजा और आरती के दौरान ही नहीं वैसे भी शंख बजाकर व्यायाम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना शंख बजाने से गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शंख बजाना मूत्रमार्ग, मूत्राशय, निचले पेट, डायाफ्राम, छाती और गर्दन की मांसपेशियों के लिए काफी बेहतर साबित होता है। शंख बजाने से इन अंगों का व्यायाम हो जाता है। यही नहीं शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे हमारी थायरॉयड ग्रंथियों और स्वरयंत्र का व्यायाम होता है।
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बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। उन्हाेंने बताया कि शंख में 100 फीसद कैल्शियम होता है। शंख बजाने से तनाव भी दूर हो जाते है। शंख बजाने से दिल के दौरे से भी बच सकते है। इसे बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती हैं। इसमें कुम्भक, रेचक, प्राणायाम शामिल है। बताया जाता है कि शंख बजाने से चेहरे, श्वसन प्रणाली, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों की बहुत बढिय़ा एक्सरसाइज होती है। कांन्वेट स्कूल में पढ़ी शबाना कहती हैं कि जबसे उसकी अम्मी ने शंख बजाने का प्रयास शुरू किया तबसे उनका ब्लड प्रेशर और सांस की समस्या कुछ कम हुई है।
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