scriptपहले बेटे से कराया देह दान और फिर खुद किया ये नेक काम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ | Sheel vardhan and Mudit gupta donates his deadbody for medical college | Patrika News
मेरठ

पहले बेटे से कराया देह दान और फिर खुद किया ये नेक काम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ

मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी मानव शरीर की रचना को समझने के लिए कॉलेज की प्रयोगशाला में एक वास्तविक मानव शरीर का दो वर्ष तक अध्ययन करते हैं।

मेरठJan 12, 2018 / 03:23 pm

Rahul Chauhan

Sheel Vardhan Gupat
केपी त्रिपाठी
मेरठ। महर्षि दधीचि से प्रेरित होकर जिले के निवासी शील वर्धन गुप्ता ने मृत्युपरान्त अपनी मृत देह लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के छात्रों को मेडिकल अनुसंधान कार्य के लिए दान कर दी। इससे पहले उनके मामा कानपुर निवासी देवेन्द्र प्रकाश गुप्ता ने अपनी देह दान की थी। इसके बाद शील वर्धन के पुत्र 37 वर्षीय मुदित गुप्ता ने भी अपना शरीर मेरठ मेडिकल कालेज को मृत्युपरान्त दान कर दिया है। उनका कहना है, हम इसे ‘सर्वे सन्तु निरामया’ अर्थात् सभी निरोग हों की मंगल प्रार्थना को पूरा करने का यज्ञ मानते हैं। हमने इसकी प्रेरणा महर्षि दधीचि से ली है।
मेरठ मेडिकल कॉलेज में ही लिया देह दान का निर्णय
मेरठ विकास प्राधिकरण में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत शील वर्धन गुप्ता का कहना है कि वे करीब तीन वर्ष पहले स्वास्थ्य चेकअप कराने लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज गए। वहां जब वह अपना चेकअप करा रहे थे तो उसी दौरान चिकित्सक के पास मेरठ मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रहे दो छात्र आए और चिकित्सक से इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि उनको प्रेक्टिकल टर्म के दौरान देह परीक्षण के लिए कोई हयूमन बॉडी नहीं मिल रही। इस पर चिकित्सक ने मेडिकल कॉलेज में कम ह्यूमन बॉडी की बात करते हुए कहा, कोई बात नहीं अभी आप लोगों का बॉडी प्रेक्टिकल टर्म एक माह बाद आएगा। तब तक आप लोग किताबों से प्रेक्टिस करो।
छात्रों के जाने के बाद जब उन्होंने चिकित्सक से इस बारे में बात की तो चिकित्सक डा0 तुंगवीर सिंह आर्य ने बताया कि आजकल सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रयोगात्मक परीक्षण के लिए ह्यूमन डेड बॉडी का आभाव है। एक ही बॉडी पर परीक्षण करने के लिए छात्रों को कई महीने इंतजार करना पड़ता है। बस वहीं से शीलवर्धन गुप्ता ने निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने अपने बेटे को भी तैयार किया। उनके बेटे मुदित गुप्ता ने भी खुशी से देह दान की स्वीकृति दी और मेरठ मेडिकल कालेज को अपना देह दान कर दिया। बेटे के देहदान के बाद शीलवर्धन गुप्ता ने भी अपना देह मृत्युपरान्त मेरठ मेडिकल कालेज के छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षण के लिए दान कर दिया।
agrrement
मृत्यु के बाद किसी के काम आ सका तो सौभाग्य होगा
शील वर्धन गुप्ता ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि हमारे शास्त्रों में भी देहदान का वर्णन किया गया है। मृत्यु के बाद ये देह अगर किसी के काम आ सके तो इससे बड़े पुण्य का काम और क्या होगा। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी आंखें और शरीर का अंग जो उस दौरान काम कर रहा हो। उसे भी किसी दूसरे का जीवन बचाने के लिए समर्पित कर दिया है।
मानव रचना समझने के लिए पड़ती है डैडबॉडी की जरूरत
मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी मानव शरीर की रचना को समझने के लिए कॉलेज की प्रयोगशाला में एक वास्तविक मानव शरीर का दो वर्ष तक अध्ययन करते हैं। यह शरीर उन्हें उन उदार लोगों से मिलते हैं, जिन्होंने मृत्यु के बाद अपनी देह को दान करने का संकल्प किया होता है, या फिर पुलिस द्वारा दी गई लावारिस लाशों से। मृत्यु के बाद नेत्रदान करने से अनेक अन्धे व्यक्तियों को दृष्टि मिलती है। दिमागी मृत्यु होने की स्थिति में हृदय, किडनी, लीवर व अन्य अंग भी दान हो सकते हैं, जो गंभीर रूप में बीमार लोगों को स्वस्थ जीवन दिलाते हैं।
इस प्राचीन घटना से प्रेरित हुए पिता-पुत्र
पुराणों की कथा के अनुसार देव-दानव संग्राम में एक बार देवता बार-बार हार रहे थे, लग रहा था कि दानव विजयी हो जाएंगे। घबराए हुए देवता सहायता के लिए ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने कहा कि पृथ्वी पर एक ऋषि रहते हैं दधीचि। तपस्या से उनकी हड्डियों में अनन्त बल का संचार हुआ है। उनसे, उनकी हड्डियों का दान मांगो। जिससे ‘वज्र’ नामक शस्त्र बनेगा, वह शस्त्र दानवों को परास्त कर देवों को विजयी बनाएगा। इन्द्र ने दधीचि से उनकी हड्डियां मांगी। महर्षि दधीचि ने ध्यानस्थ हो प्राण त्याग दिए। उनकी अस्थियों से बने वज्र ने देवताओं को विजय दिलाई थी।

Home / Meerut / पहले बेटे से कराया देह दान और फिर खुद किया ये नेक काम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो