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अब भी निजात पाई जा रही है, संक्रमण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह लोगों की मानसिक स्थिति है। पहले का बुखार 3 से 5 दिन में ठीक होता था। इन दिनों में बुखार 8 से 10 दिनों में ठीक हो रहा है। मगर लोग तनाव, टेंशन और डिप्रेशन में जी रहे हैं, जो लोगों के भीतर जीने की इच्छा को कम रहा है। लोगों के मन में भय इस कदर हावी हो चुका कि उन्हें ऐसा लगता हैं कि उन्हें बुखार होगा तो कहीं वे मर तो नहीं जाएंगे ? यह भी पढ़ें
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वायरस के इस दाैरा में एक हजार लोगों में से दो की माैत हाे रही है लेकिन 998 ठीक हो रहे हैं तो उन पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। सिर्फ मरने वालों पर चर्चा हाे रही है। मनाेचिकित्सक के अऩुसार यही वह स्थिति हैं जाे हमें मासिक रुप से कमजाेर कर रही है। मेरठ में कोरोना के नोडल अधिकारी रहे डॉक्टर वेद प्रकाश का कहना है कि लाेगाें काे हम केवल बचाव करने की सलाह दे रहे हैं लेकिन लाेग पैनिक हाे रहे हैं जाे गलत है। इस राेग से लड़ने के लिए मानसिक मजबूती बेहद आवश्यक है। खुद डॉक्टर ना बने डॉक्टर की सुनें
डॉक्टर वेद प्रकाश के अऩुसार जब हम तनाव या डर में होते हैं तो डॉक्टर भी नहीं सुनते। उन्होंने बताया कि बीते एक सालों से चल रहे कोरोना संक्रमण के बीच लोग खुद ही डॉक्टर बने हुए हैं। मसलन खुद ही दवाई ले रहे हैं। खुद ही उपाय करने में जुटे हुए हैं। इस स्थिति को लेकर के होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्टर अनिरूद्ध वर्मा बताते हैं कि इस तरह के वायरस आते रहते हैं डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया, बर्डफ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोरोना, किसी भी वायरस में एतियात कुछ समय के लिए होता है। पंद्रह दिन या एक महीना मगर यहां स्थिति ऐसी हैं कि बीते एक साल से लोग खुद ही डॉक्टर बने हुए हैं। स्थिति यह हैं कि लोग बिना कारण भाप ले रहे हैं, रोज काढ़ा पी रहे हैं, घरेलु उपाय कर रहे हैं, मेडिकल से लेकर जिंक, विटामिन की गोलियां खा रहे हैं। इससे उनके डायजेशन सिस्टम पर विपरित असर पड़ रहा है। ऐसे में उन्हाेंने लोगाें काे बगैर डॉक्टर किसी भी तरह दवाईयां या इम्यूनिटी बूस्टर ना लेने की सलाह दी है।
डॉक्टर वेद प्रकाश के अऩुसार जब हम तनाव या डर में होते हैं तो डॉक्टर भी नहीं सुनते। उन्होंने बताया कि बीते एक सालों से चल रहे कोरोना संक्रमण के बीच लोग खुद ही डॉक्टर बने हुए हैं। मसलन खुद ही दवाई ले रहे हैं। खुद ही उपाय करने में जुटे हुए हैं। इस स्थिति को लेकर के होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्टर अनिरूद्ध वर्मा बताते हैं कि इस तरह के वायरस आते रहते हैं डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया, बर्डफ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोरोना, किसी भी वायरस में एतियात कुछ समय के लिए होता है। पंद्रह दिन या एक महीना मगर यहां स्थिति ऐसी हैं कि बीते एक साल से लोग खुद ही डॉक्टर बने हुए हैं। स्थिति यह हैं कि लोग बिना कारण भाप ले रहे हैं, रोज काढ़ा पी रहे हैं, घरेलु उपाय कर रहे हैं, मेडिकल से लेकर जिंक, विटामिन की गोलियां खा रहे हैं। इससे उनके डायजेशन सिस्टम पर विपरित असर पड़ रहा है। ऐसे में उन्हाेंने लोगाें काे बगैर डॉक्टर किसी भी तरह दवाईयां या इम्यूनिटी बूस्टर ना लेने की सलाह दी है।
घबराना नहीं लड़ना और जीतना होगा
डॉक्टर अनिरूद्ध वर्मा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति में लोगों के मन में घबराहट ज्यादा हो रही है, लोग बेचैन हो रहे हैं। सबसे पहले हमे अपने मन से भय को समाप्त करना होगा। जब तक लोगों के मन से भय नहीं निकलेगा कोरोना समाप्त नहीं होगा, साथ ही कहते हैं कि आज की स्थिति ऐसी है कि मरीजों से कोई बात तक नहीं कर रहा है। कोई उसका साथ नहीं दे रहा है, घरों में कैदी की तरह रहने के लिए मजबूर हैं जिससे मरीज के मन में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और तनाव की वजह से मरीज गंभीर हो रहा है। ऐसी स्थिति में हम सब को आपतकाल में भी हिम्मत से साथ काम करना होगा।
डॉक्टर अनिरूद्ध वर्मा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति में लोगों के मन में घबराहट ज्यादा हो रही है, लोग बेचैन हो रहे हैं। सबसे पहले हमे अपने मन से भय को समाप्त करना होगा। जब तक लोगों के मन से भय नहीं निकलेगा कोरोना समाप्त नहीं होगा, साथ ही कहते हैं कि आज की स्थिति ऐसी है कि मरीजों से कोई बात तक नहीं कर रहा है। कोई उसका साथ नहीं दे रहा है, घरों में कैदी की तरह रहने के लिए मजबूर हैं जिससे मरीज के मन में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और तनाव की वजह से मरीज गंभीर हो रहा है। ऐसी स्थिति में हम सब को आपतकाल में भी हिम्मत से साथ काम करना होगा।