scriptयुवा दिवस पर विशेष : इस लाईब्रेरी में पढ़ते थे स्वामी विवेकानंद, धराेहर बन गई हैं यहां की किताबें | Special on Youth Day: Swami Vivekananda spent five months in Meerut | Patrika News

युवा दिवस पर विशेष : इस लाईब्रेरी में पढ़ते थे स्वामी विवेकानंद, धराेहर बन गई हैं यहां की किताबें

locationमेरठPublished: Jan 12, 2021 06:55:33 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

12 जनवरी 1891 को मनाया था अपना 28 वां जन्मदिन
शिकागो में धर्म सम्मेलन के लिए मेरठ आए थे युवाओं के प्रेरणा स्रोत

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मेरठ की लाइब्रेरी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. विश्व भर के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द ( swami vivekananda ) का मेरठ ( Meerut ) से भी गहरा जुड़ाव रहा है। इतिहासकारों की माने तो स्वामी विवेकानंद शिकागो में धर्म सम्मेलन में जाने से पहले मेरठ आए थे। मेरठ में उन्हाेंने पांच महीने प्रवास किया था। उनका मेरठ की घंटाघर स्थित तिलक लाइब्रेरी से गहरा जुड़ाव रहा यहां की लाइब्रेरी में उन्हाेंने वेद, पुराण, उपनिषद, योग और दर्शन सहित तमाम साहित्यों का अध्ययन किया था। उन्हाेंने ने जिन पुस्तकों को अपने मेरठ प्रवास के दौरान पढ़ा था आज वे पुस्तकें धरोहर बनी हुई हैं।
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युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनका जन्मदिन प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस ( Youth Day ) के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद का हर संदेश युवाओं का मार्गदर्शन करता है। इतिहासकार डॉक्टर केडी शर्मा के मुताबिक स्वामी विवेकानंद शिकागो से पहले मेरठ आए थे। हरिद्वार से वापस लौटते समय वह मेरठ में पांच महीने प्रवास पर रहे थे। सात सितंबर 1890 से 28 जनवरी 1891 तक उन्होंने मेरठ प्रवास किया। 12 जनवरी 1891 को उन्होंने अपना 28 वां जन्मदिन भी मेरठ में मनाया था। स्वामी विवेकानंद कैंट क्षेत्र में फौज की परेड भी देखा करते थे।
मेरठ प्रवास के दौरान स्वामी विवेकानंद नगर निगम परिसर में स्थित तिलक लाइब्रेरी में आते रहे। जहां से वह पुस्तकें लेकर जाते थे, फिर अगले दिन पढ़कर लौटा देते थे।
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इतिहासकार डॉक्टर शर्मा बताते हैं कि लाइब्रेरी में स्वामी जी ने विष्णु पुराण, अभिज्ञान शाकुंतलम आदि का गहनता से अध्ययन किया था। वह कुछ किताबों को पढ़ते समय अंडर लाइन भी करते थे, ऐसी किताबें आज भी धरोहर की तरह लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं। विवेकानंद की अध्ययनशीलता युवाओं को आज भी अध्ययन के लिए भी प्रेरित करता है।
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