Black Fungus: कानपुर में कोरोना से ठीक हुए पांच मरीजों में ब्लैक फंगस, आंख और दिमाग को होता है बड़ा खतरा
मेरठ में न्यूटीमा अस्पताल में ब्लैक फंगस के एक मरीज की मौत हो चुकी है। अस्पतालों की आईसीयू में लंबा समय बिताने वाले मरीजों में सेकंडरी इन्फेक्शन का खतरा है। ब्लैक फंगस नाक के अंदर साइनस से होते हुए दिमाग तक पहुंच सकता है। कोविड संक्रमण से उबरे मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम मिली है। नाक और मुंह में कालापन इस बीमारी का शुरुआती लक्षण हैं जिसका तत्काल इलाज किया जा सकता है।डॉक्टर भार्गव बताते हैं कि फंगस वातावरण में रहता है, जो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में पहले भी संक्रमित होता रहा है। ब्लैक फंगस शुगर के मरीजों में सबसे ज्यादा हो रहा है। स्टेरॉयड की वजह से कोविड मरीजों का शुगर लेवल बढ़ा मिल रहा है। कोविड संक्रमण के साथ अस्पतालों में भर्ती किडनी ट्रांसप्लांट, ब्लड कैंसर, बोनमैरो ट्रांस्प्लांट के मरीज सबसे ज्यादा रिस्क में हैं। मरीजों की आंखों में सूजन व लालिमा इसका बड़ा लक्षण है। मरीजों को हाई एंटी फंगल दवाएं देकर इलाज किया जाता है। कई बार मरीज की सर्जरी करनी पड़ती है। म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नई बीमारी नहीं है लेकिन कोविड मरीजों में घातक रूप से बढ़ रही है। बायोप्सी जांच के जरिए तीन घंटे में बीमारी पकड़ी जा सकती है।