बता दें कि इससे पहले 2020 में कोविड काल में जून में
मेरठ का तापमान 36:1 रिकार्ड किया गया था लेकिन इस बार पिछले साल से भी कम तापमान 17 जून तक रिकार्ड किया गया। कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि मौसम वैज्ञानिक
डॉक्टर नगराज सुभाष ने बताया कि ग्लोबल वार्मिग ( Global warming ) के कारण तापमान में परिवर्तन हो रहा है। पिछले साल 2020 में कोविड की पहली लहर आई। उसके बाद से लगे लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया था। फैक्ट्री और सड़कों पर चलने वाले वाहन भी बंद रहे थे। इसका काफी असर ग्लोबल वार्मिंग पर पड़ा था। जिससे अधिकतम तापमान में कमी आई थी। उन्होंने बताया इस बार मई महीने में हुई रिकार्ड बारिश ( rain ) और जून में हो रही प्री-मानसून ( Monsoon 2021 ) बारिश से भी तापमान में अंतर आया है।
बता दें कि वर्ष 2020 में अप्रैल और मई में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार बारिश हुई थी लेकिन इस बार मई और जून के महीने में बारिश के चलते तापमान में काफी परिवर्तन हुआ। जून जिसे हिंदी महीने में ज्येष्ठ भी कहा जाता है लू और भयंकर गर्मी के लिए जाना जाता है लेकिन पिछले एक साल से इस ज्येष्ठ के महीने में न तो लू का कहीं कोई नामोनिशान है और न भयंकर गर्मी। इसका कारण जून के महीने में आए दो चक्रावात को माना जा रहा है। मेरठ सहित पूरे प्रदेश में जून में प्री मानसून की बारिश ने बढ़ते तापमान पर ब्रेक लगा दिया है। मौसम विभाग की माने तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 20 और 21 जून के बीच मानसून पहुंच जाएगा। पिछले साल की अपेक्षा इस बार मानसून अच्छा रहने की उम्मीद जताई जा रही है।