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इस बार सावन के महीनें में विशेष है पांच साेमवार, बाबा को कर लाे खुश, जीवन से मिट जाएंगे दुख

locationमेरठPublished: Jul 03, 2020 11:46:34 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

6 जुलाई यानी साेमवार से शुरू होगा सावन माहइस बार घर पर रहकर करनी होगी पूजा-अर्चना

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मेरठ ( meerut news) कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सावन के महीने में भोले के भक्तों को पूजा करने में भी विशेष सावधानी बरतनी होगी। इस बार धार्मिक स्थल बंद हैं, जिसके कारण सावन के महीने में पूजा-अर्चना करने के लिए शिवभक्त मंदिर नहीं जा सकेंगे। इस कारण भोले के इस प्रिय माह में घर में ही भक्तों को पूजन कर उनको प्रसन्न करना होगा।
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इस बार सावन में पांच सोमवार लग रहे हैं और सावन का पहला दिन ही सोमवार से शुरू होकर महीने का अंत सोमवार को हो रहा है। यही कारण है कि इस महीने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। आगामी 6 जुलाई से सावन का माह लग रहा है। इस बार पांच साेमवार काे अगर आप मन से देवाें के देव महादेव की पूजा अर्चना करते हैं ताे बाबा की कृपा आप पर बरसेगी।
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पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है। इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस महीने में आप भगवान शिव की पूजा करके मनचाहा फल पा सकते हैं। पंचांग अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले हर वर्ष के, पांचवें महीने में ही श्रावण मास आता है जबकि अंग्रेजी कैलेंडर की मानें तो, हर वर्ष सावन का महीना जुलाई या अगस्त में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में पड़ने वाले पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
भगवान शिव की आराधना करते समय बरतें ये सावधानियां

पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा अराधना का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की विधि से पूजा करनी चाहिए। इस विधि से भगवान शिव की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाएंगे और आपकी हर इच्छा पूरी हो जाएगी।
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पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ़-सफाई करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद भगवान शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाएं। हो सके तो शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन शिव को धतूरा और बेलपत्र चढाएं। इससे भगवान आशुतोष प्रसन्न होकर मनचाहा फल प्रदान करते हैं।
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