‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ नामक इस संगठन के नेताओं का मानना है कि संघ के बारे में गलतफमहियां फैलाई गई हैं। संघ मुस्लिम विरोधी नहीं है। वहीं अब विधानसभा चुनाव 2022 से पहले यह संगठन एक बार फिर से मुस्लिमों को भाजपा और संघ के नजदीक लाने का काम कर रहा है। इसके लिए अब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिमों को भाजपा के नजदीक लाने के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मुस्लिम युवाओं को साधने का काम करेगा। 2022 के चुनाव से पहले 75 सम्मेलन करने की तैयारी की जा रही है। इस संगठन का फोकस अभी यूपी के मुस्लिम वोटर होंगे।
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AIMIM चीफ ओवैसी बोले- सपा, बसपा और कांग्रेस की गुलामी नहीं करेंगे मुसलमान हिन्दू-मुस्लिम मतभेदों को दूर करने का काम करता है संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ट की संयोजिका अधिवक्ता शाहीन परवेज कहती हैं कि जैसे-जैसे मंच का भगवा रंग निखरता जा रहा है, वैसे-वैसे इससे जुड़े लोगों के खिलाफ मुस्लिम समाज में नफरत भी कम होती जा रही है। 12 साल पहले संघ के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन की मदद से स्थापित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को आरएसएस औपचारिक रूप से अब भी नहीं अपनाता है, लेकिन इस पर आरएसएस की नजर जरूर रहती है। शाहीन परवेज कहती हैं कि वे हिन्दू-मुस्लिम मतभेदों को कम करने और आपसी ग़लतफ़हमियों को दूर करने का काम करते हैं।
साध लिये मुस्लिम तो भाजपा को होगा लाभ बता दें कि यूपी में 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। पश्चिम के कई मंडलों में मुस्लिम आबादी बाहुल्य जिले हैं। इन मंडलों में बरेली, आगरा, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर मंडल प्रमुख हैं। इन मंडलों के करीब 20 जिलों में मुस्लिम आबादी का दबदबा है। मुस्लिम वोटर करीब 150 सीटों पर राजनीतिक दलों के समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं। मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का हमेशा से भाजपा को लाभ मिलता रहा है। इस बात को मुस्लिम भी जानते हैं। लेकिन, अब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिम युवाओं को साधने का काम करेगा। मुस्लिम युवाओं को जागरूक करने के साथ ही उनको संघ की शाखाओं में भी लेकर जाएंगे। इतना ही नहीं सम्मेलन के माध्यम से आरएसएस की गतिविधियों के बारे में भी बताया जाएगा। जिससे मुस्लिमों में आरएसएस के प्रति जो भ्रांतियां हैं वे दूर हो सकें।