यह भी पढ़ेंः International Yoga Day 2019: योगी के मंत्री ने योग का विरोध करने वालों के लिए कही ये बड़ी बात, देखें वीडियो इस कंपनी को सौंपा गया सर्वे शहर में जीआर्इएस सर्वे का काम आर्इटीआर्इ लिमटेड को सौंपा गया है। इसमें एक अन्य एजेंसी की भी भागीदारी रहेगी। इस काम के लिए एजेंसी से पांच साल का करार किया गया है। इसमें उसे दो साल में सर्वे पूरा करना होगा आैर तीन साल रिपोर्टिंग व मेंटीनेंस को लेकर करार है।
यह भी पढ़ेंः मेजर केतन शर्मा को इस युवक ने दी ऐसी श्रद्धांजलि कि सब हैरत में पड़ गए आॅनलाइन होगी प्राॅपर्टी की स्थिति यह सारी कवायद प्राॅपर्टी की आॅनालाइन स्थिति की सही जानकारी को लेकर चल रही है। नगर निगम का मानना है कि प्लॉट में मकान बन चुके हैं। कुछ लोगों ने मकान में अतिरिक्त निर्माण कर लिया है। किस पर टैक्स लगा है या नहीं। फिलहाल नगर निगम के पास जानकारी नहीं है। सर्वे के बाद नगर निगम के पास पुरानी व नर्इ प्राॅपर्टी का आॅनलाइन रिकार्ड होगा। इसमें मौजूदा स्थिति के हिसाब टैक्स निर्धारित किया जाएगा। इससे नगर निगम की आय में वृद्धि होगी। नगर निगम के अंतर्गत दो लाख, 78 हजार 380 प्राॅपर्टी हैं। साथ ही 43 हजार 81 कमर्शियल प्राॅपर्टी हैं। करीब दस फीसदी प्राॅपर्टी टैक्स की सीमा से बाहर है।
यह भी पढ़ेंः मायके वालों ने दामाद और बेटी पर फेंका तेजाब, ये बड़ी वजह आयी सामने, देखें वीडियो अफसरों से मांगी जा रही जानकारी शहर में सर्वे करने जा रही एजेंसी के कोआॅर्डिनेटर आशीष कुमार ने नगर निगम मेरठ के अफसरों व कर्मचारियाें के साथ बैठक की आैर मौजूदा स्थिति संबंधी जानकारी मांगी है। सर्वे में पहले तीन जोन के एक-एक वार्ड का सर्वे होगा आैर इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कार्य करने पर सहमति बनी है। बैठक के बाद आशीष कुमार ने बताया कि करीब एक माह बाद एजेंसी प्रॉपर्टी सर्वे शुरू करेगी। एजेंसी इस कार्य के लिए 137 कर्मचारियों को लगाएगी। यह करार पांच साल का है।
अब हर मकान को मिलेगा नया नंबर जीआर्इएस सर्वे के बाद हर मकान को नए सिरे से नया नंबर मिलेगा। एजेंसी के कर्मचारी सर्वे के दौरान हर मकान पर नंबर प्लेट लगाएंगे, क्योंकि सीरियलवाइज नंबर नहीं होने से जीआर्इएस मैपिंग में दिक्कतें आएंगी। इस क्रम के बाद शहर में प्रत्येक मकान का नंबर निर्धारित किया जाएगा। नगर निगम के वित्त एवं लेखाधिकारी संतोष कुमार शर्मा का कहना है कि शहर की विभिन्न प्रकार की प्राॅपर्टी का जीआर्इएस सर्वे जल्द शुरू किया जाएगा। भविष्य में छूटी प्राॅपर्टी टैक्स के दायरे में आएगी। इस पर काम जल्द किया जाएगा।
कैंट की प्राॅपर्टी की ये है स्थिति मेरठ कैंट की सिविल क्षेत्र में 275 लीज प्रापर्टी है। इनमें से 52 की लीज खत्म हो चुकी है। 86 लीज प्राॅपर्टी के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया हुआ है। इनमें से दस फीसदी प्राॅपर्टी में चेंज आफ पर्पज की स्थिति है। कैंट बोर्ड के अफसरों का कहना है कि नवीनीकरण कराने के लिए लाखों रुपये लोगों को देने होंगे, इसलिए लोग इससे बच रहे हैं। अगर लोग लीज नवीनीकरण नहीं कराते हैं तो इसकी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को भेज दी जाएगी।