कृषि वैज्ञानिक डा0 आरएस सैंगर का कहना है कि मौसम के बदले मिजाज और ग्लोबल वार्मिंग का असर इस बार आम की फसल पर पूरी तरह दिखाई दिया है। कहीं पर समय से पहले बौर आ गए तो फसल पूरी तरह से नहीं हो पाई। समय से पहले आए बौरों ने बागवानों में निराश किया था। वहीं मौसम की मार से भी फसल को व्यापक नुकसार हुआ है। डा0 सैंगर कहते है कि आम के पेड़ में बौर आने का समय फरवरी के मध्य का है। इस बार अक्टूबर में उस तरह की सर्दी नहीं पड़ रही है जो कि होनी चाहिए थी। इस कारण से भी आम के पेड़ों पर इस मौसम का असर पड़ रहा है और बौर आ रहे हैं। पेड़ में आ रहे आम के फल इस मौसम परिवर्तन का ही नतीजा माना जा सकता है।
मेरठ में अक्टूबर में मार्च जैसा मौसम
इस समय मेरठ में अक्टूबर के महीने में मार्च जैसा मौसम बना हुआ है। आमतौर पर आम के पेड़ पर मार्च के शुरूआती दिनों में ही बौर आना शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ग्लोबल वार्मिग का असर कह ले या फिर बारिश का कम होना। अक्टूबर में मार्च जैसा तापमान बना हुआ है। इसी कारण अक्टूबर के मौसम में आम के पेड़ पर आम आ रहा है।