जी हां जिले में चर्चा तेज है कि पीएम मोदी की रैली पर जिला भाजपा इकाई कि मिस मैजेनमेंट और भीषण गर्मी भारी पड़ गयी। बरसात और धूप से बचने के लिए पहले ही तीन जर्मन हैंगर लगाये गए थे। जिसमें जिला प्रशासन के अनुसार बैठने के लिए 30 हजार कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी। एक हैंगर में नीचे बैठने के लिए दरी की व्यबस्था भी की गई थी। प्रधानमंत्री के भाषण के समय वह लगभग आधा खाली था। इस दौरान टेंट के पीछे लगी कुर्सी भी खाली दिखाई दिया। कुल मिला कर अगर भीड़ की बात करें तो वह लगभग 35 से 40 हजार के लगभग था। जो प्रधाममंत्री नरेंद्र मोदी के कद को देखते हुए काफी कम कहा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि 14 जुलाई को पीएम मोदी के आजमगढ़ की रैली में लाखों कि भीड़ से गदगद भाजपा नेता चनईपुर मैदान पर कम भीड़ देख निराश हो गए। अनुमान है कि भीड़ कम होने में भीषण गर्मी ने भे एक अहम रोल निभाया। लोग जनसभा स्थल पर पहुंचने के बजाय घरों में टीवी पर पीएम का भाषण सुनना ज्यादा पसंद किया। वही विंध्याचल मंडल की रैली होने के कारण अनुमान लगाया जा रहा था कि तीनों जिले मिर्ज़ापुर, भदोही, सोनभद्र से पार्टी कार्यकर्ताओ की भारी भीड़ पहुंचेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जबकि इसी मैदान पर 2014 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी की रैली में लाखों की भीड़ जुटी थी। इसके बाद विधान सभा चुनाव में भाजपा ने सहयोगी दल अपना दल के साथ मिल कर पांचों सीट जीता था। सूत्रों के मुताबिक रैली स्थल तक वाहन उपलब्ध कराकर पार्टी कार्यकर्ताओं को पहुंचाने कि जिम्मेदारी पार्टी नेताओं के अलावा विधायक पर था। मगर विधायकों की उदासीनता के कारण पूरा मामला ही उलटा पड़ गया। हालांकि सहयोगी दल अपना दल (एस) ने भी भरपूर सहयोग किया मगर जिला इकाई की मिस मैनेजमेंट और भाजपा नेताओं कि गुटबंदी पूरे कार्यक्रम पर भारी पड़ गया।
वहीं सभा स्थल पर रैली समाप्त होने के बाद बैनर पोस्टर लूटने की होड़ भी दिखाई दिया। जैसे ही रैली खत्म हुई महिलाओं ने रैली स्थल पर लगे विशाल पोस्टर को फाड़कर समेटना शुरू कर दिया। भाजपा के सबसे स्टार चेहरे की रैली में भीड़ कम होने से जहां एक तरफ पार्टी नेताओं में खलबली मची है। जिले के पार्टी नेताओ को यह अंदेशा है कि कही केंद्रीय नेतृत्व इस पर सवाल जबाब न कर ले।