जब दिल्ली में 31 जुलाई 1984 को जब इंदिरा को को गोली मारी गई थी तो, अटल बिहरी वाजपेयी मिर्जापुर के जान्हवी होटल में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। जैसे ही उन्हें इंदिरा पर हमले की सूचना मिली अटल जी अपना सारा काम छोड़कर दिल्ली भागे थे। वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह तब जिले में पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थे। वह और जिले के कार्यकर्ताओं ने मिल कर जिले से भाजपा इकाई के लिए 80 हजार रुपये का फंड इकठ्ठा किया था। यह पैसा पार्टी कि मदद के लिए अटल जी को देना चाहते थे। इसके लिए राजनाथ सिंह और प्रेम सिंह गर्ग ने अटल जी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। वह मिर्ज़ापुर आये और गंगा के किनारे स्थित होटल जान्हवी में रुके।
31 अक्टूबर 1984 को जान्हवी होटल में पार्टी नेताओं के साथ अटल जी कि मीटिंग चल रही थी। पार्टी की भावी रणनीति के बारे में वह कार्यकर्ताओं को समझा रहे थे। तभी होटल के कमरे से बाहर निकले प्रेम सिंह गर्ग को इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मार मारने का समाचार मिला। वह भागते हुए होटल के अंदर पहुंचे। मीटिंग हाल में अटल जी के सामने पहुंचे तो उनके चेहरे पर घबराहट का भाव देख अटल जी ने उन्हें अपने पास बुलाया। उन्होंने अटल जी के कान में इंदिरा गांधी पर हमले का समाचार सुनाया। इतना सुनते ही वह कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए सर पर हाथ रख कर काफी देर तक बैठे रहे। इसके बाद मीटिंग के बीच से उठकर तुरंत होटल से निकले और दिल्ली के लिए रवाना हो गए।