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इंदिरा गांधी की हत्या के समय मिर्जापुर में थे अटल बिहारी वाजपेयी, खबर मिलते ही तुरंत मीटिंग छोड़ दी

locationमिर्जापुरPublished: Aug 18, 2018 11:52:59 am

मीटिंग में अटल जी कार्यकर्ताओं को समझा रहे थे रणनीति, तभी मिली इंदिरा गांधी की हत्या की खबर।

Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी

सुरेश सिंह

मिर्जापुर. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनैतिक तौर पर भले ही काग्रेस के विरोधी रहे हो मगर राजनीति में वह विरोधी होने के बावजूद भी इंदिरा और अटल जी में आत्मीयता थी। उन्हें जैसे ही इंदिरा कि मौत का समाचार मिला वह स्तब्ध रह गए। सिर पर हाथ रखा और कार्यकर्ताओं की मीटिंग छोड़ भागे-भागे दिल्ली पहुचे। इंदिरा गांधी की हत्या के वक्त अटल जी मिर्ज़ापुर के सरकारी होटल में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। अटल जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था पक्ष हो या विपक्ष हर कोई उनका कायल था। विरोधियों के लिए भी उनके मन में आत्मीयता थी। उन्होंने सदन में अपने तीखे भाषण से जवाहरलाल नेहरू का विरोध किया। उनका वही विरोध बाद में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर कि भी रहा, पर दोनों नेता उनके व्यक्तित्व कि तारीफ करते नहीं थकते थे। इंदिरा गांधी को तो उन्होंने दुर्गा का रूप कहा।

जब दिल्ली में 31 जुलाई 1984 को जब इंदिरा को को गोली मारी गई थी तो, अटल बिहरी वाजपेयी मिर्जापुर के जान्हवी होटल में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। जैसे ही उन्हें इंदिरा पर हमले की सूचना मिली अटल जी अपना सारा काम छोड़कर दिल्ली भागे थे। वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह तब जिले में पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थे। वह और जिले के कार्यकर्ताओं ने मिल कर जिले से भाजपा इकाई के लिए 80 हजार रुपये का फंड इकठ्ठा किया था। यह पैसा पार्टी कि मदद के लिए अटल जी को देना चाहते थे। इसके लिए राजनाथ सिंह और प्रेम सिंह गर्ग ने अटल जी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। वह मिर्ज़ापुर आये और गंगा के किनारे स्थित होटल जान्हवी में रुके।

31 अक्टूबर 1984 को जान्हवी होटल में पार्टी नेताओं के साथ अटल जी कि मीटिंग चल रही थी। पार्टी की भावी रणनीति के बारे में वह कार्यकर्ताओं को समझा रहे थे। तभी होटल के कमरे से बाहर निकले प्रेम सिंह गर्ग को इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मार मारने का समाचार मिला। वह भागते हुए होटल के अंदर पहुंचे। मीटिंग हाल में अटल जी के सामने पहुंचे तो उनके चेहरे पर घबराहट का भाव देख अटल जी ने उन्हें अपने पास बुलाया। उन्होंने अटल जी के कान में इंदिरा गांधी पर हमले का समाचार सुनाया। इतना सुनते ही वह कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए सर पर हाथ रख कर काफी देर तक बैठे रहे। इसके बाद मीटिंग के बीच से उठकर तुरंत होटल से निकले और दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
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