दर्शनार्थियों को सहूलियत, बढ़ेगा पर्यटन
मिर्जापुर के विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी देवी का दर्शन करने आने वाले अष्टभुजा माता और कालीखोह स्थित मां काली का दर्शन भी करते हैं। इस त्रिकोण दर्शन के लिये पहाड़ी रास्ता तय करना होता है। मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर से अष्टभुजा मंदिर की दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, जिसके लिये पहाड़ी रास्ता तयकर खड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। वहां से काली खोह जाने के लिये भी पहाड़ी रास्ता पड़ता है। रोपवे अष्टभुजा पहाड़ी पर बनाया गया है, जो विंध्याचल मंदिर के नजदीक रामगया घाट तक जाता है। इससे मां विंध्यवासिनी और अष्टभुजा की दूरी पांच मिनट से भी कम समय में तय हो जाएगी। रोपवे बन जाने से यहां पर श्रद्घालुओं के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।
पीपीपी माॅडल पर होगा संचालन
विंध्याचल का रोपवे भी चित्रकूट माॅडल पर बना है। रोपवे का संचालन पीपीपी माॅडल पर किया जाएगा। इसके लिये जमीन सरकार ने उपलब्ध करायी ह। नई दिल्ली की निजी कंपनी ने करार के तहत रोपवे का निर्माण कराया है। इसका संचालन भी वही करेगी। हालांकि यात्रियों के बैठने, उतारने और टिकट काटने की व्यवस्था और आने-जाने का किराया शासन के नियमों के तहत ही होगा।
छह साल में पूरा हुआ प्रोजेक्ट
मिर्जापुर के विंध्याचल में रोपवे निर्माण का प्राजेक्ट छह साल पहले शुरू हुआ था। 2014 में रोपवे निर्माण के लिये नई दिल्ली की एक निजी कंपनी के साथ करार किया गया था। पर्यटन विभाग की ओर से इसका निर्माण पीपीपी माॅडल पर कराया गया है। छह साल बाद अब जाकर रोपवे का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। नवरात्र में इसके शुरू होने की बात कही जा रही है।
लोकार्पण के लिये पूरी तैयारी
जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि प्रोजेक्ट लगभग पूरा हो चुका है। हम लोकार्पण का प्रयास कर रहे हैं। बिजली और कुछ क्लियरेंस का काम बचा था, उसे जुलाई में ही पूरा करा लिया गया। उधर पर्यटन अधिकारी नवीन कुमार का कहना है कि विंध्य पहाड़ी पर श्रद्घालुओं के लिये रोपवे बनकर तैयार है। त्रिकोण दर्शन करने वाले श्रद्घालुओं को इससे आसानी होगी। शासन को सेफ्टी व क्लीयरेंस रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। शसन से हरी झंडी मिलते ही यह रोपवे जनता के लिये शुरू कर दिया जाएगा।
By Suresh Singh