मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम को घर या होटल में ले जाने की शिकायत चुनाव आयोग को मिली थी। इसको लेकर काफी हो हल्ला और हंगामा हुआ था। चुनाव आयोग नहीं चाहता कि लोकसभा इलेक्शन के दौरान इस तरह की कोई बात हो या शिकायत आए। इसके लिये आयोग उन गाड़ियों पर पल-पल नजर रखेगा जो ईवीएम लेकर जाएंगी। इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारी भी आयोग की नजर में रहेंगे। सबको जीपीएस से ट्रैक किया जाएगा। पूरा निगरानी ऑपरेशन एक कंट्रोल रूम से अंजाम दिया जाएगा।
चुनाव आयोग पहली बार ईवीएम मशीन को बूथों तक पहुंचाने वाले अधिकारियों और उनकी गाड़ियों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस करेगा। कंट्रोल रूम से आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि ईवीएम की जिस गाड़ी से जा रही है वह सेंटर से बूथ तक और वापसी में सीधे गोदाम तक पहुंच रही है या नहीं। कोई भी ईवीएम अगर तय रूट से ईधर-उधर मुड़ी या कहीं रुकी तो तत्काल पता चल जाएगा। इतना ही नहीं ईवीएम या वीवीपैट मशीन लेकर कोई जोनल या सेक्टर मजिस्ट्रेट दूसरी जगह जाते हैं तो वह तुरंत पकड़ में आ जाएंगे। पूरी जानकारी को आयोग इकट्ठा करेगा ताकि बाद में किसी तरह का आरोप लगने पर उसे पेश किया जा सके।
मिर्जापुर के जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) अनुराग पटेल ने कहा कि जीपीएस का इस्तेमाल चुनाव आयोग निगरानी के लिये पहली बार कर रहा है। जीपीएस वाहनों के लिये निर्देशित कर दिया गया है। इसका मकसद वाहनों के मूवमेंट के साथ पल-पल लोकेशन की जानकारी लेना है। चुनाव में सभी वाहनों में जीपीएस लगा दिये जाएंगे। मिर्जापुर का लोकसभा चुनाव सातवें चरण में होगा। सुरक्षा की दृष्टि से इसे 145 सेक्टरों में बांटा गया है। 40 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 21 जोनल मजिस्ट्रेट के वाहनों पर जीपीएस लगाए जाएंगे।
By Suresh Singh